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कोरोना: अब तेज़ होती दूसरी लहर विस्फोटक होने की कगार पर

Updated on 04-04-2021 12:51 PM
देश के 11 राज्यों में जिस  तेज रफ्तार से कोरोना की दूसरी लहर उठी है उसको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अब यह रफतार विस्फोटक होने की कगार तक पहुंचती जा रही है। अभी भी यदि सतर्कता और कोरोना गाइड लाइन्स का  हम सबने स्वयं ही पालन नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब यह लहर विस्फोटक बन जाएगी। केवल टीकाकरण ही कोरोना की श्रृंखला को  थामने के लिए एकमात्र कारगर उपाय नहीं है, बल्कि यह हमें होने वाले संभावित खतरे से बचाता है, लेकिन इसके साथ ही अगर टीका लगा लेने मात्र से हम  बेफिक्र हो गए तो फिर हालात बेकाबू हो सकते हैं। तेजी से टीकाकरण के साथ ही साथ सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाकर ही हम इसके फैलाव पर विराम लगा सकते हैं। 2 अप्रैल की शाम 8 बजे तक के आंकड़ों को देखा जाए तो इसके बढ़ने की रफ्तार चौंकाने वाली है। हमारे देश में बीते 24 घंटों में कोविड-19 के कुल नए पॉजिटिव नए मामले 89 हजार 129 है और कुल मिलाकर आंकड़ा 1 करोड़ 23 लाख 92 हजार 269 हो गया है, जबकि 24 घंटों में 714 लोगों की मृत्यु भी हुई है।कुल मिलाकर मरने वालों का आंकड़ा 1 लाख 64 हजार 110 तक हो गया है। इसलिए जरूरी है कि  राज्य सरकारों की सख्ती के साथ ही साथ लोग स्वयं ही आने वाले खतरे की विभीषिका को समझें और संक्रमण की रफ्तार को रोकने के लिए आगे आएं तथा यह महसूस करें कि इसके सिवा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। 2 अप्रैल शुक्रवार को मध्यप्रदेश में नए मरीजों की संख्या के मामले में कोरोना ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और 26,514 नमूनों की जांच में 2777 मरीज पॉजिटिव मिले। इससे पूर्व 19 सितंबर 2020 को 2607 मरीज पॉजिटिव पाए गए थे। केवल बीते 5 दिनों को भी देखा जाए तो प्रदेश में संक्रमण दर 10 प्रतिशत बनी हुई है लेकिन भोपाल में तो 20 प्रतिशत से अधिक नमूने पॉजिटिव मिले हैं। प्रदेश में अभी तक कुल पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा तीन लाख को पार कर गया है और कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 3 लाख 834 हो गई है। सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है कि मृतकों की संख्या भी प्रतिदिन बढ़ रही है। अब तक 4014 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है । कोरोना से 2 लाख 77 हजार 484 मरीज स्वस्थ भी हो चुके हैं। प्रतिदिन लगभग 10 से 12 तक मरीजों की मृत्यु होने के मामले सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को तो अलग-अलग जिलों में मिलाकर 16 मरीजों की मृत्यु हुई है।
शिवराज पूरी तरह से एक्शन मोड में
प्रदेश में 19,336 सक्रिय मरीज थे जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत मरीज अपने घरों में ही क्वॉरेंटाइन हैं। प्रदेश के 52 जिलों में से 32 जिले ऐसे हैं जहां पर 1 दिन में 20 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। शुक्रवार को ही इंदौर में सबसे अधिक 682 और उसके बाद दूसरे नंबर पर राजधानी भोपाल में 528 मरीज मिले। मध्यप्रदेश के हालातों को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं तथा दिन में दो बार तक समीक्षा कर  आवश्यक निर्देश भी दे रहे हैं। कोरोना पर काबू करने के लिए शिवराज ने ज्यादा संक्रमण वाले 4 जिलों खरगोन, बैतूल, छिंदवाड़ा और रतलाम में राजधानी से चार विशेष दल भेजे हैं और सभी जिलों में गाइड लाइंस का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। जितना अधिक से अधिक संभव है  सभी प्रयास शिवराज कर रहे हैं और इस मामले में तनिक भी कोताही नहीं बरत रहे हैं। उनके निर्देश पर सरकार भी पूरी सख्ती बरत रही है लेकिन इसमें लोगों का भी स्वस्फूर्त सहयोग जरूरी है।तेज रफ्तार और वैज्ञानिकों की चेतावनी
अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक दल की यह रिपोर्ट भी चिंताजनक है कि कोरोना वायरस का नया रूप बच्चों और युवाओं में अधिक संक्रमण फैला सकता है। कोरोना संक्रमण की पहले से भी अधिक भयावह रफ्तार को देखते हुए वैज्ञानिक अब यह चेतावनी दे रहे हैं कि‌ देश में कोरोना की दूसरी लहर मई माह के मध्य तक अपने चरम पर होगी। आने वाले दो ढाई महीनों में कोरोना का प्रकोप और भयावह होने की आंशका को देखते हुए कोरोना प्रभावित राज्यों की सरकारें अभी तक लॉक डाउन को ही आखिरी कारगर उपाय मानती रही हैं परंतु अब देश में यह तथ्य सामने आया है कि कोरोना की दूसरी लहर में भी  लॉक डाउन को पहले जैसा ही सबसे कारगर उपाय नहीं माना जा सकता है। वैसे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी हरसंभव कोशिश यही है कि दोबारा लॉक डाउन की स्थिति ना आने दी जाए ताकि आर्थिक गतिविधियां अधिक प्रभावित ना हों, इसलिए वह कड़ाई से गाइड लाइंस के पालन पर विशेष जोर दे रहे हैं और वास्तव में जरूरत इसी बात की है ताकि फिर से आर्थिक गतिविधियां पिछले साल की तरह ठप्प  ना हो पाएं। देश के अनेक चिकित्सा विशेषज्ञों ही नहीं बल्कि कुछ राज्य सरकारों की भी  अलग अलग राय सामने आ रही है। कुछ राज्य सरकारों का मानना है कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर काबू पाने के लिए लॉक डाउन की अनिवार्यता को नहीं नकारा जा सकता, लेकिन एक मत यह भी सामने आया है कि लॉक डाउन से अब पूरी तराह से प्रभावकारी और संतोषजनक परिणाम नहीं मिल रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने हाल में ही आयोजित एक कान्क्लेव में कहा था कि कोरोना संक्रमण को काबू में करने के लिए कुछ शहरों में लगाए जाने वाले रात्रिकालीन कर्फ्यू और शनिवार व रविवार के लाकडाउन अब ज्यादा असर कारक नहीं रह गए हैं। उनके अनुसार फिजिकल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसे उपायों से ही कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में सहायता मिल सकती है। उनका मानना है कि अधिक से अधिक टीकाकरण से ही कोरोना की दूसरी लहर पर लगाम लगाई जा सकती है, इसीलिए अब सरकार टीकाकरण अभियान में और तेजी लाने के लिए आवश्यक कदमों  उठा रही है। मध्यप्रदेश में भी टीकाकरण की रफ्तार काफी बढ़ गई है और टीकाकरण के तीसरे चरण के दूसरे दिन 1 लाख 28 हजार लोगों ने टीका लगवाए। अब इसके प्रति लोगों में काफी जागरूकता आ गई है और इसकी रफ्तार प्रतिदिन और बढ़ती जाएगी। 
और यह भी
भारत के सुप्रसिद्ध कार्डिएक सर्जन और नारायण हेल्थ के संस्थापक डा. नारायण शेट्टी भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन की इस राय से सहमत हैं कि  कोरोना को नियंत्रित करने के लिएअब  लॉक डाउन अथवा रात्रिकालीन कर्फ्यू जैसे उपाय कारगर साबित नहीं होंगे। इसके स्थान पर  टीकाकरण अभियान में गति लानी होगी। डा. शेट्टी कहते हैं कि 20 से 45 आयु वर्ग के लोगों के बीच टीकाकरण अभियान में तेजी लाने से अगले 6 माहों में कोरोना पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। डा. शेट्टी की यह सलाह निश्चित रूप से विचारणीय है कि देश के जिन इलाकों में आबादी का घनत्व ज्यादा है वहां लाकडाउन लगाकर भी बेहतर परिणामों की उम्मीद नहीं की जा सकती। कोरोना को बढ़ने से रोकने के लिए एक ओर तो लोगों को मास्क पहनने के साथ ही फिजिकल डिस्टेंसिंग जैसे सुरक्षात्मक उपायों के प्रति निरंतर जागरूक करने की आवश्यकता है वहीं दूसरी ओर अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण करने के लिए सघन अभियान अब अपरिहार्य हो गया है। देश में कोरोना संक्रमण की डरावनी रफ्तार पर अंकुश लगाने के लिए अब लोगों को खुद ही इस हकीकत का अहसास करना होगा  कि कोरोना संक्रमण के भय को यह यक्ष ‌मन से निकालने के लिए उन्हें खुद ही टीका लगवाना होगा अभी तो अपने साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक, सुबह सवेर  
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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