अभी तक कोरोना बेनाम था,अब इसका भी नामकरण संस्कार हो गया है, दो साल से अलग अलग नाम से पुकारा जाता था,कोई इसे कोविड-19 कहता था,तो कोई कोरोना,इसके और भी नाम थे, इसे बुखार,सर्दी,खांसी,ज़ुकाम से भी पहचाना जाता है तो कोई इसे निमोनिया या मोतीझीरा भी कहता है, तुम्हारे रूप अनेक है, पर आज डब्ल्यूएचओ ने भारत, ब्रिटेन,दक्षिण अफ़्रीका समेत दूसरे देशों में पाये जाने वाले कोरोना वेरिएंट का नाम रखने के लिए अंग्रेजी भाषा के अक्षरों का इस्तेमाल किया है,भारत में पाये गए B.1.617.1 को कप्पा और B.1.617.2 को डेल्टा कहा जाएगा । आयु केवल 2 वर्ष इसका आतंक ऐसा पूरे विश्व को नाको चने चबवा दिए,सुना था कोरोना इंसानों के फेफड़ों और आँखों पर वार करता है,पर अब इस वायरस ने लोगों के पेटों पर भी वार करना शुरू कर दिया है, जिनके फेफड़ों और आँखों पर इस ने हमला किया, इस हमले से बहुत सारे लोग ऊपर वाले को प्यारे हो गए,जो लोग बचे उनकी जेबों पर इस वायरस ने जमकर हमला बोला,हमला भी ऐसा जिसे पूरे परिवार की कमाई इस बीमारी मे लग गई,जेवर बिक गए,मकान और दुकान बिक गई ,खेती की ज़मीन बिक गई, इसके बावजूद भी पैसे कम पड़ गए,लोगों के सामने मदद के लिए हाथ फैलाना पड़ा सिर पर उधारी हो गई पर अपनों को ना बचा पाए,जो बच गए अब उनके पास कुछ नहीं बचा ।
डेल्टा और कप्पा ने भारत में लाखो लोगों की तो जान ली और करोड़ों लोगों को बेरोज़गार कर दिया,लोगों के व्यवसाय बंद हो गए,छोटी-छोटी दुकानों में ताले लग गए,जो लोग कार्यालय में पंखे एवं एयर कंडीशनर में बैठकर काम करते थे,नौकरियां छूटने के कारण आज फुटपाथ पर कड़ी धूप में खड़े होकर छोटे-छोटे सामान बेच रहे हैं। इस डेल्टा और कप्पा ने लोगों को रोटी के लिए खूब तरसाया, पूरे परिवार बच्चों को भूखा सुलाया,छोटे मासूम बच्चों को दूध के लिए तरसाया, जिन्होंने कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाएं पर इस निर्दयी डेल्टा और कप्पा की वजह से लोग को हाथ फैलाने के लिए मजबूर किया,अपने बच्चों की भूख देखी नहीं गई,कभी राशन के लिए,तो कभी भोजन के लिए खैरात की लाइनों में लगना पड़ा, अपनी खुद्दारी को गिरवी रखना पड़ा,अपने मान सम्मान को ठेस पहुंचाई ।
डेल्टा और कप्पा तुम इतने निर्दय हो अब तुम्हारी नज़र बच्चों पर है, पर अब तुम्हारे वार बच्चों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे,आप तुम से लड़ने के लिए हमारे पास शस्त्र आ गए हैं, यह शास्त्रों के नाम हैं कोवैक्सीन,कोविशील्ड , यह मासूम बच्चों को तो बचाएंगे ही और हमारे बुजुर्ग एवं नौजवानों को भी तुम्हारी चाल बाज़ियों से छुटकारा दिलाएंगे। तुमने भी क्या क्या रंग दिखाए लोगों को अंतिम क्रियाओं से तरसाया,लोग पैसों से टूट गए थे, कई लोगों ने अपने दिलों पर पत्थर रखकर मजबूरी में अपनों को नदी में बहाया,तुमने लोगों की खुशियों के साथ भी खिलवाड़ किया, तुम्हारे डर और खौफ की वजह से शादियों को रोकना पड़ा,तुमने कई माओं को बहनों को खून के आँसू रुलाए तुमने इनका दिल तोड़ा है, माओ ने सोचा था,अपने बेटे को दूल्हा बनते देखेगी,दूल्हा बनते तो नहीं देखा पर अपने जवान बेटे को मरते हुए जरूर देखा,कब तक लोगों को परेशान करोगे, कब तक लोगों की बददुआएं लोगे, तुमने बच्चों का स्कूल छुड़वाया,बच्चों को पढ़ाई से दूर करवाया, बहुत हुआ,मान जाओ,नहीं तो तुम्हारा इस धरती से नामोनिशान खत्म हो जाएगा।
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