कोरोना विस्फोट: मान लें श्रीमान जागरूकता ही बचाएगी जान
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18-04-2021 12:02 PM
देश के जिन 5 राज्यों में पिछले साल की इस अवधि में जिसमें कोरोना संक्रमण अपने पीक पर था उसकी तुलना में इस बार ज्यादा मरीज संक्रमित हुए हैं उनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र शामिल हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा लगातार पूरी शिद्दत और समर्पण से इस पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी दोनों राज्यों की स्थिति नाजुक बनी हुई है। सरकारें भले ही कितना प्रयास क्यों ना करें लेकिन यह भी एक हकीकत है जिसे स्वीकारना चाहिए कि जिस तेजी से नए मरीज मिल रहे हैं उसके अनुरूप तत्काल व्यवस्थाएं करना आसान नहीं है, फिर भी दोनों राज्य सरकार और उसके मुखिया पूरी मुस्तैदी से हालात नियंत्रित करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि केवल सरकारों के भरोसे हम ना रहें बल्कि बेकाबू होते हालातों में हमें स्वयं ही अपनी चिंता करनी होगी तथा पर्याप्त एहतियात बरतना होगा।
पहली लहर की तुलना में इस दूसरी कोरोना संक्रमण की लहर में 3 गुना तेज गति से संक्रमण फैल रहा है। इस बात के पक्के सबूत सामने आ रहे हैं कि इसके लिए जिम्मेदार वायरस हवा के जरिए फैल रहा है, यह दावा मेडिकल जनरल लैंसेट में प्रकाशित एक शोध में किया गया है। इस कारण जितने भी उपाय इसे रोकने के लिए किए जा रहे हैं, वायरस को रोकने में सफल नहीं हो रहे हैं क्योंकि हवा में वायरस होने के कारण लोग असुरक्षित हैं और संक्रमण को अपने पैर पसारने का मौका मिल रहा है। ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा के 6 विशेषज्ञों ने पड़ताल करते हुए सबूत जुटाए हैं। पड़ताल करने वालों में कोऑपरेटिव इंस्टिट्यूट फ़ॉर रिसर्च इन एनवायरमेंट के केमिस्ट जोस-लुइस जिमेनेज भी शामिल हैं। इस पृष्ठभूमि में घरों में रहना ही सबसे ज्यादा सुरक्षित है और जब तक बहुत जरूरी ना हो घर से बाहर ना निकलें। घर से बाहर कदम रखने से पहले मास्क लगा लें और 2 गज की दूरी जरूर रखें।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सांसद दिग्विजय सिंह सहित 109 नेता जो दमोह उपचुनाव में प्रचार करने गए थे संक्रमित हुए और उनमें कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन भी शामिल हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में स्थिति की गंभीरता का अंदाज इस बात से लग जाता है कि मध्यप्रदेश में शुक्रवार को 11045 नए पॉजिटिव मरीज मिले जिनमें राजधानी भोपाल के 1669 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज शामिल हैं। इसी दिन भोपाल में 118 कोविड अंतिम संस्कार हुए। मध्यप्रदेश में पिछले पखवाड़े कोरोना संक्रमण के 75 हजार से अधिक मरीज मिले और 37 हजार से अधिक मरीज स्वस्थ भी हुए हैं। स्वस्थ होने वाले मरीजों का आंकड़ा आने वाले लगभग 15 दिनों में और बढ़ेगा क्योंकि जिनकी पॉजिटिव रिपोर्ट आई है वह भी इस अवधि में स्वस्थ होंगे। एक पखवाड़े में जितने मरीज बढ़े हैं उतने मरीज साल भर में किसी एक माह में नहीं बढ़े हैं। इससे पहले पिछले साल सितंबर माह में 64 हजार से कुछ अधिक संक्रमित मरीज बढ़े थे। इस सबके बीच थोड़ी राहत बड़ी बात है कि खंडवा, बुरहानपुर, देवास और छिंदवाड़ा में संक्रमण की दर घटने लगी है। जिलेवार समीक्षा के अनुसार सबसे ज्यादा भोपाल में 1681 और उसके बाद इंदौर में 1679, जबलपुर में 724 और ग्वालियर में 692 नए संक्रमित पाए गए। छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को 14912 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई वहीं दूसरी ओर 11807 स्वस्थ हुए हैं। इसी दिन छत्तीसगढ़ में कोविड-19 से 88 मरीजों की मृत्यु हुई।
मध्यप्रदेश में कोरोना का दूसरा पीक खतरे के निशान को पार कर चुका है। यद्यपि सरकारी तौर पर कोरोना के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा उजागर नहीं किया जा रहा है, लेकिन श्मशान घाट और कब्रिस्तान की तस्वीरें बता रही हैं कि हर दिन लगभग 100 के आसपास लोग मर रहे हैं। 21 मार्च को मध्यप्रदेश में कुल आठ हजार एक्टिव केस थे। इंदौर में सबसे ज्यादा संक्रमण है। पिछले साल भी इंदौर में ही संक्रमण तेजी से फैला था। अनुमान यह है कि मध्यप्रदेश में कोरोना का नया स्ट्रेन फरवरी माह के अंत में इंदौर में ही मिला था। मामला कथित तौर पर सामने आने के बाद भी जिला प्रशासन ने ट्रेकिंग नहीं की जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल को ही मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में साफतौर पर कहा था कि राज्यों को थ्री टी फार्मूला गंभीरता से अपनाना चाहिए। इसके तहत उन लोगों में कोरोना टेस्टिंग की जाना थी, जिन्हें सामान्य सर्दी, बुखार है। कोरोना पॉजिटिव होने पर ट्रेकिंग और ट्रीटमेंट पर जोर देने की सलाह प्रधानमंत्री ने दी थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जोर इस बात पर ज्यादा था कि अधिकांश लोग मास्क का उपयोग करें। इसके लिए उन्होंने अभियान भी चलाया। जबकि इस दौरान अकेले भोपाल में ही संक्रमण एक सप्ताह में 45 प्रतिशत से भी ज्यादा तेजी से बढ़ा।
अफसरों की कार्यशैली में अनुभव की सीख नहीं दिखी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफतौर पर कहा था कि दूसरी लहर प्रशासनिक चूक का नतीजा है। इस चूक के कारण गुरुवार को भी भोपाल में 112 शवों काअंतिम संस्कार हुआ। भोपाल गैस कांड के बाद ऐसी स्थिति पहली बार देखी गई। मध्यप्रदेश में संक्रमण से बचाव में प्रशासनिक चूक को कई स्तर पर महसूस किया गया। पिछले साल के पीक में भी इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में ऑक्सीजन की कमी सामने आई थी। कोरोना संक्रमण से निपटने की जिम्मेदारी राज्य में उन्हीं अफसरों के पास है, जिन्होंने पिछले साल आईं समस्याओं का सामना किया था। ऑक्सीजन ब्लैक में बेचे जाने के मामले भी सामने आए थे। इसके बावजूद भी सरकार ने ऑक्सीजन के स्टॉक को लेकर कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाए। पिछले वर्ष मार्च में जब कोरोना का संक्रमण प्रारंभ हुआ उस समय के स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट दलबदल करने वाले अन्य तत्कालीन कांग्रेसी विधायकों के साथ बेंगलुरु कर्नाटक में होटल में बैठे थे और अप्रैल माह में इस साल जब कोरोना तेजी से फैल रहा है उस दौरान भी वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी दमोह चुनाव प्रचार में व्यस्त थे और पूरा मोर्चा शिवराज ही संभाल रहे थे। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने प्रभुराम चौधरी की अनुपस्थिति का मामला उठाते हुए उनके त्यागपत्र की मांग कर डाली थी और इस मांग के बाद चौधरी ने अपनी कुछ सक्रियता दिखाना चालू किया लेकिन उस समय तक काफी देर हो चुकी थी। भारत सरकार के सार्थक पोर्टल पर सभी राज्य सरकारों को ऑक्सीजन की उपलब्धता की जानकारी अनिवार्य रूप से दर्ज कराना होती है। राज्य में ऑक्सीजन का संकट खड़ा हो गया है, इसकी खबर सरकार को कुछ संक्रमितों की मौत हो जाने के बाद हुई। जब संकट बढ़ा तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रेल मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम एवं इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से गुहार लगाना पड़ी। श्री प्रधान ने छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट से गैस की आपूर्ति सुनिश्चित की। घंटों तक तो सरकार यह तय नहीं कर पाई कि छत्तीसगढ़ से ऑक्सीजन भोपाल और राज्य के अन्य जिलों में कैसे पहुंचेगी। मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री गोयल से आग्रह किया कि संभव हो तो ऑक्सीजन से भरा ट्रक मालगाड़ी के जरिए मध्यप्रदेश पहुंचाया जाए। इससे समय की बचत होगी।
और यह भी
कोरोना के बढ़ते संक्रमण और टीकाकरण को लेकर भूपेश बघेल सरकार पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा द्वारा जो हमला किया जा रहा है उसका तल्खी से उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा नेताओं को चुनौती देते हुए कहा कि जांच टीकाकरण के मामले में कौन सा भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़ सरकार से बेहतर काम कर रहा है और इसके साथ ही यह दावा भी किया कि मामले में उनकी सरकार का सबसे अच्छा काम है। वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान सरकार की घेराबंदी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने एक ट्वीट में कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के आँकड़े निरंतर बढ़ते जा रहे है, संक्रमण दर बढ़ती जा रही है, निरंतर एक्टिव मरीज़ों की संख्या बढ़ती जा रही है। आज की स्थिति में ही अस्पतालों में बेड नहीं है, ऑक्सिजन नहीं है, इंजेक्शन नहीं है ? उन्होंने कहा कि तेज़ी से बढ़ रहे एक्टिव मरीज़ों की संख्या को देखते हुए शिवराज सरकार बेडों की संख्या बढ़ाने, ऑक्सिजन की आपूर्ति बढ़ाने, इंजेक्शन की कमी दूर करने व आवश्यक दवाई व उपकरणो की उपलब्धता सुनिश्चित करने के युद्ध स्तर पर गंभीर प्रयास करे तथा त्वरित निर्णय लेकर हर आवश्यक कदम उठाये, अन्यथा आगामी दिनो में स्थितियाँ और भयावह हो सकती है ?
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