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संविधान दिवस (26 नवंबर) विशेष

Updated on 27-11-2020 03:33 AM
संविधान दिवस (26 नवम्बर) भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 से संविधान दिवस मनाया गया। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया।
गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया। आंबेडकरवादी और बौद्ध लोगों द्वारा कई दशकों पूर्व से ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा पहली बार 2015 से डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के इस महान योगदान के रूप में 26 नवम्बर को "संविधान दिवस" मनाया गया। 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व का प्रसार करने और डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं का प्रसार करने के लिए चुना गया था। इस दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ सर हरीसिंह गौर का जन्मदिवस भी होता है । हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 26 नवंबर, 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। भारतीय संविधान में सभी वर्गो के हितों के मद्देनज़र विस्तृत प्रावधानों को शामिल किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय की विभिन्न व्याख्याओं के माध्यम से भी बदलती परिस्थितियों के अनुसार विभिन्न अधिकारों को इसमें सम्मिलित किया गया। 
कब और क्यों लिया गया संविधान दिवस मनाने का फैसला
साल 2015 में संविधान के निर्माता डॉ. आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था। संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसके कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिये गये हैं। इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है। विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का क्या काम है, उनकी देश को चलाने में क्या भूमिका है, इन सभी बातों का जिक्र संविधान में है। 
कैसी दिखती है मूल प्रति
- 16 इंच चौड़ी है संविधान की मूल प्रति
- 22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गई है
- 251 पृष्ठ शामिल थे इस पांडुलिपि में
कितने दिन में हुआ तैयार
पूरा संविधान तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन लगे थे। यह 26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ था। 26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था।
- संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी। ये बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है। इसके हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था। 
- संविधान की असली प्रतियां हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में लिखी गई थीं। इन्हें आज भी भारत की संसद में हीलियम भरे डिब्बों में सुरक्षित रखा गया है।
- 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू किया गया था। इस दिन को भारत गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है। 
- हाथ से लिखे हुए संविधान पर 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे जिसमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं। दो दिन बाद 26 जनवरी से यह संविधान देश में लागू हो गया था। 
- संविधान 25 भागों, 448 अनुच्छेदों और 12 सूचियों में बंटा भारतीय संविधान किसी दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है.
- मूल रूप से भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद (22 भागों में विभाजित) और 8 अनुसूचियाँ थी, किंतु विभिन्न संशोधनों के परिणामस्वरूप वर्तमान में इसमें कुल 470 अनुच्छेद (25 भागों में विभाजित) और 12 अनुसूचियां हैं। संविधान के तीसरे भाग में 6 मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।
आज पूरा देश बड़े हर्षोल्लास के साथ संविधान दिवस मना रहा है I हम सब जानते हैं कि भारत ने औपचारिक रूप से 26 नवंबर 1949 को संविधान को एक संविधान सभा के द्वारा अपनाया था लेकिन इस लागू  किया 26 जनवरी 1950 को I इसके लगभग 65 वर्ष वर्ष मोदी सरकार में सामाजित न्याय और अधिकारिता मंत्रायलय ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था I आजाद भारत के इतिहास में 26 नवंबर की खास अहमियत है आज के दिन को संविधान दिवस के रूप में मानने का एक मात्र बड़ा कारण वेस्टर्न कल्चर के दौर में देश के युवाओं के बीच में संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना हैI दरअसल यही वह दिन है, जब गुलामी की जंजीरों से आजाद होकर अपने स्वतंत्र अस्तित्व को आकार देने का प्रयास कर रहे राष्ट्र ने संविधान को अंगीकार किया था I 
इसी दिन संविधान सभा ने इसे अपनी स्वीकृति दी थीI इस वजह से इस दिन को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है I


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