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'दीपक‘ हुए कांग्रेस के सिलसिला जारी रहेगा या थमेगा

Updated on 09-05-2023 02:14 PM
अविभाजित मध्यप्रदेश में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे तथा छत्तीसगढ़ के एक बड़े आदिवासी नेता नंदकुमार साय के द्वारा कांग्रेस का दामन थाम लेने के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में जनसंघ काल से लेकर भाजपा तक पार्टी के एक शक्तिशाली स्तम्भ रहे तथा संत राजनेता के नाम से ख्याति प्राप्त पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व सांसद कैलाश जोशी के बेटे तथा शिवराज सरकार में मंत्री रहे दीपक जोशी अंततः अब कांग्रेस के हो गये। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। दीपक जोशी अपने पिता की तस्वीर लेकर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचे और उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही जो कुछ कहा उससे लगता है कि पिछले कुछ सालों से वह आंतरिक रुप से काफी दुखी, पीड़ित और उपेक्षित रहे होंगे  । 
      यह एक दलबदल की घटना मात्र नहीं है कि एक नेता एक पार्टी से दूसरी पार्टी में चला गया, क्योंकि अब दलबदल तो एक आम बात राजनीति में फैशन हो गया है । लेकिन दीपक ने जो कहा वह बात भाजपा के मौजूदा नेतृत्व को सचेत करने के साथ ही कार्यकर्ताओं तक अपनी पैठ बढ़ाने का एक अवसर दे गयी है। लाख टके का सवाल यही है कि दीपक के बाद चूंकि अब दिल्ली से लेकर भोपाल तक भाजपा नेतृत्व चाक-चौकन्ना हो गया है इसलिए भाजपा छोड़कर अन्य पार्टियों में अपना भविष्य तलाशने  वाले नेताओं पर विराम लगेगा या यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
      भाजपा नेता इस दलबदल को फिलहाल ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं लेकिन अंदरखाने वे जरूर ही सतर्क व चौकन्ना हो गये होंगे। कांग्रेस के होते ही दीपक ने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए यहां तक कह डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि मैं न खाऊंगा न खाने दूंगा लेकिन इन गूंगे-बहरों ने  यह सुन लिया कि ‘‘खाओ और खाने दो‘‘। दीपक यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 40 प्रतिशत कमीशन की बात कही जा रही है लेकिन मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश में यह 80 प्रतिशत है। नेताओं की स्थिति यह है कि कार्यकर्ता उनसे मिल नहीं सकते। उनका आरोप था कि मेरे पिताजी की विरासत खत्म करने की साजिश भाजपा के लोग रच रहे हैं और कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है। उसी दिन भाजपा के एक पूर्व विधायक राधेलाल बघेल ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया। 
      कांग्रेस प्रवेश के लिए देवास से रवाना होने के पूर्व दीपक ने कहा कि भाजपा के लॉलीपाप देख-देख कर  मेरा शुगर लेबल बढ़ गया है। शिवराज भले ही मुझे छोटा भाई मानते हों लेकिन मैं उन्हें कतई अपना बड़ा भाई नहीं मानता। फिलहाल तो दीपक कांग्रेस प्रवेश के बाद पूरे जोश और फुलफार्म में हैं और कह रहे हैं कि यदि पार्टी कहेगी तो वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। वैसे मैं किसी का हक नहीं मारना चाहता इसलिए चुनाव नहीं लडूंगा। टिकट देना है तो मुझे बुधनी से दे दो। देखने वाली बात यही होगी कि ताजा-ताजा जोश- खरोश दीपक में कितने दिन कायम रहता है।
      इंदौर के पूर्व विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता जो पार्टी विरोधी बयानबाजी कर रहे थे उन सत्यनारायण सत्तन को मुख्यमंत्री ने बुलावा भेजा और शनिवार 6 मई को उन्होंने शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। इस अवसर पर इंदौर के कुछ नेता और पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता भी उनके साथ थे। मुलाकात के बाद सत्तन का कहना था कि टिकट की बात करने नहीं आया था बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं की बात सीएम के सामने रखने गया था और हमारी सकारात्मक चर्चा हुई है, कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर होना चाहिए। इसी बीच कांग्रेस के भितरवार के विधायक लाखन सिंह यादव भी मुख्यमंत्री निवास में नजर आये तो अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि कहीं शिवराज पलटवार करने वाले तो नहीं हैं। बात आगे बढ़े इससे पहले यादव ने स्वयं सफाई दी कि वह मुख्यमंत्री नहीं उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह चौहान से मिलने आये थे क्योंकि वह हमारे समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उनसे चर्चा हुई क्योंकि समाज का सम्मेलन होना है। यदि मुझे भाजपा में ही जाना होता तो मैं तीन साल पहले चला गया होता लेकिन उस समय मैंने कांग्रेस छोड़ने की बात नहीं मानी और मैं हमेशा पार्टी के साथ रहूंगा। 
      फिलहाल एक पूर्व भाजपा विधायक और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष भंवरसिंह शेखावत के बगावती तेवर अभी कायम हैं। वहीं अनूप मिश्रा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा और प्रदेश महामंत्री संगठन हितानंद से मिलने के बाद काफी खुश नजर आये। उनका कहना यह था कि इस बार वह अपनी पुरानी सीट ग्वालियर दक्षिण से चुनाव लड़ना चाहते हैं और पार्टी को यह बात बता चुके हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि उससे हमारे वैचारिक मतभेद हैं। आने वाले दिनों में यह देखने वाली बात होगी कि भविष्य की तलाश में कौन भाजपाई कांग्रेस में जाता है और कौन कांग्रेसी भाजपा में, या फिर आम आदमी पार्टी की शरण लेता है।

अरुण पटेल
-लेखक,संपादक 



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