कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया इंदिरा गृह ज्योति योजना और संबल योजना में अंतर
Updated on
23-06-2020 03:47 PM
Bhopal. अखिल भारतीय कांग्रेस मीडिया विभाग के कोर्डिनेटर अभय दुबे ने एक पत्रकार वार्ता के माध्यम से बताया कि मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने प्रदेश के नागरिकों को राहत देते हुए एक क्रांतिकारी इंदिरा गृह ज्योति योजना लागू की थी। मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चैहान द्वारा चलायी जा रही संबल योजना और इंदिरा गृह ज्योति योजना के बीच तुलना करना बेहद जरूरी है, क्योंकि भाजपा सरकार नेइस योजना को समाप्त कर दिया है जिससे आम उपभोक्ता को ज्यादा लाभ हो रहा था।
संबल योजना
भाजपा की तत्कालीन सरकार ने एक किलोवाट के घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को 200 रूपये प्रति माह निर्धारित कर संबल योजना लागू की थी। इस योजना के तहत लगभग 58 लाख परिवार 200 रूपये माह में बिजली का उपभोग कर रहे थे।
इंदिरा गृह ज्योति योजना
इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत मप्र के प्रत्येक बिजली उपभोक्ता, जिनकी प्रतिमाह बिजली 150 यूनिट तक खर्च होती है, उन्हें 100 यूनिट पर मात्र 100 रूपये बिजली का बिल देना होता है। इस योजना के तहत एक करोड़ 5 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को लाभ दिया जा रहा था।
तो जहां एक तरफ लगभग 90 प्रतिशत घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को इंदिरा गृह ज्योति योजना में लाभ मिलता है, वहीं संबल योजना में 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं को ही लाभ दिया जा रहा था।
वर्तमान में मप्र में लगभग एक करोड़ 20 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें से 87 लाख उपभोक्ता 100 यूनिट के अंदर बिजली खर्च करते हैं, अर्थात इंदिरा गृह ज्योति योजना में इन परिवारों का बिजली का बिल मात्र 100 रूपये महीना या उससे कम आता है। वहीं संबल योजना के तहत इन उपभोक्ताओं का आंकलन करें तो उन्हें दोगुनी राशि अर्थात 200 रूपये महीने बिजली बिल भरना होगा।
वहीं 18 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनकी बिजली की खपत 100 से 150 यूनिट प्रतिमाह होती है अर्थात इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत कुल एक करोड़ पांच लाख परिवार इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
मध्यप्रदेश नियामक आयोग का मूल्यांकन कहता है कि 0.1 किलोवाट के कनेक्शन पर प्रतिमाह 15 यूनिट का खर्च आता है अर्थात 01 किलोवाट के कनेक्शन पर अधिकतम 150 यूनिट प्रतिमाह बिजली खर्च होने की संभावना रहती है अर्थात यह स्पष्ट है कि अब यदि वर्तमान भाजपा सरकार इंदिरा गृह ज्योति योजना को बंद करती है तो यह मप्र के नागरिकों के साथ कुठाराघात होगा।
पांच लाख उपभोक्ता इंदिरा गृह ज्योति योजना से बाहर
भाजपा सरकार ने अप्रैल माह के घरेलू बिजली बिल का मूल्यांकन पिछले वर्ष के आधार पर किया है, जिसमें पूर्व क्षत्र विद्युत वितरण कंपनी के तहत लगभग 38 लाख 94 हजार विद्युत उपभोक्ताओं को मध्यक्षेत्र भोपाल 39 लाख उपभोक्ताओं को और इंदौर में लगभग 31 लाख 71 हजार उपभोक्ताओं को इंदिरा गृह ज्योति योजना के दायरे में रखा है।
अन्नदाता को कांगे्रस ने दी थी देश की सबसे सस्ती दर की बिजली
कमलनाथ जी की मान्यता है कि प्रदेश का अन्नदाता किसान ही सही मायने में प्रदेश की प्रगति का कर्णधार है। उन्होंने सरकार में आते ही दस हाॅर्स पाॅवर तक के कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दरों को आधा कर दिया था। पूर्ववर्ती सरकार में जो 1400 रूपये प्रति हाॅर्स पाॅवर, प्रतिवर्ष कृषि पंपों की विद्युत दर निर्धारित थी, उसे हमने एकदम आधा करके 700 रूपये प्रति हाॅर्स पाॅवर प्रतिवर्ष कर दिया था। इससे 19.91 लाख किसान लाभान्वित हो रहे थे। इस योजना के तहत प्रति किसान उपभोक्ता को लगभग 47 हजार रूपये प्रति वर्ष सब्सिडी की राहत प्रदान की जा रही थी।
इतना ही नहीं, हमने स्थायी कृषि पंप कनेक्शन के अतिरिक्त अस्थायी कृषि पंप उपभोक्ताओं की विद्युत दर पूर्व की भाजपा सरकार की तुलना में कम की थी। ग्रामीण क्षेत्र में तीन माह के अस्थायी कृषि पंप कनेक्शन हेतु तुलनात्मक दरें निम्नानुसार हैं:-
कृषि पंप
(एच.पी.) वर्ष 2018 वर्ष 2019-20
भाजपा सरकार के समय की दर कांग्रेस सरकार के समय की दर
3 एच.पी. 7959 रू. 4654 रू.
5 एच.पी. 13128 रू. 7620 रू.
7.5 एच.पी. 20881 रू. 12069 रू.
10 एच.पी. 26050 रू. 15035 रू.
छोटा किसान निःशुल्क बिजली का योगदान
एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के कृषकों को 5 हार्सपाॅवर तक के कृषि पंप कनेक्शनों हेतु निःशुल्क बिजली की व्यवस्था की थी।
हांलांकि कांग्रेस,बीजेपी सरकार पर बिजली के मुद्दे पर ऐसे समय आरोप लगा रही है जिन महीनो में बिजली का उपयोग सबसे अधिक होता है मार्च से लेकर जून के महीने तक सभी लोग बिजली का उपयोग अधिक करते है और कांग्रेस ने इंदिरा गृह ज्योति योजना ठण्ड के समय लाया था उस समय बिजली का उपयोग गर्मी के मुकाबले कम होता है लेकिन यदि कांग्रेस की माने तो जो अभी आम उपभोक्ता का बिलिंग स्ट्रक्चर है वो वाकई सोचने लायक है क्योंकि जहा अभी सभी प्राइवेट कामकारों का काम धंधा चौपट हो चुका है वो बिल पेमेंट की स्थिति में नहीं है यदि 3 महीने के बिल को अगले एक साल में भी भरना हुआ तो भी हर महीने की लायबिलिटी तो बनती ही रहेगी।
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