शिवराज मंत्रिमंडल की सदस्य संख्या पर कांग्रेस को आपत्ति
Updated on
03-07-2020 07:43 PM
-ज्यादा मंत्री होने पर कोर्ट जााने की तैयारी
भोपाल। मप्र विधानसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या 206 है। लेकिन शिवराज सरकार ने 230 के आधार पर मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या तय की है। इसको लेकर कांग्रेस को आपत्ति है। संविधान का उल्लंघन बताकर कांग्रेस अब कोर्ट जाने की तैयारी में है। कांग्रेस के राज्यसभा सासंद व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने कहा है कि वे संविधान के खिलाफ ज्यादा संख्या में मंत्री बनाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। तन्खा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के अनुसार सदन के सदस्योंं में से 15 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं, लेकिन सरकार ने इसका उल्लंघन किया है। वर्तमान में विधानसभा में विधायकों की संख्या 206 है, इसका 15 प्रतिशत 30.9 होता है।
नियमानुसार 30 मंत्री बनाए जा सकते थे। यदि 31 भी मान लिए जाएं, तो भी उससे तीन ज्यादा मंत्री बनाए गए हैं। सरकार ने विधानसभा के कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत के हिसाब से मुख्यमंत्री सहित 34 मंत्री बना दिए हैं। यह संविधान की अवहेलना है। इसके खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जाएगी। इस बारे में विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा के वरिष्ठ विधायक सीतासरण शर्मा का कहना है कि मंत्रिमंडल सदन की कुल संख्या पर बनता है। इसका वर्तमान में मौजूद विधायकों की संख्या से कोई मतलब नहीं है, क्योंकि कई बार विधायकों के निधन या अन्य कारणों से सदन की संख्या कम-ज्यादा होती रहती है। इसका मंत्रिमंडल से कोई लेना-देना नहीं है।
कांग्रेस के आरोपों में कोई दम नहीं
कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा है कि मंत्रियों की संख् या से संविधान का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। भाजपा विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने कहा कि भारत के संविधान के 91 वें संशोधन 2003 के अनुसाद सदन की कुल संख्या के 15 फीसदी मंत्री बनाए जा सकते हैं। सदन की वर्तमान सदस्य संख्या का उससे कोई लेना देना नहीं हैं।
देवड़ा ने पहले इस्तीफा दिया, फिर शपथ ली
कांग्रेस ने पूर्व प्रोटेम स्पीकर जगदीश देवड़ा द्वारा मंत्री पद की शपथ लेने पर भी आपत्ति की थी। कांगे्रस के प्रवक्ता नरेन्द्र सजूजा ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर रहते जगदीश देवड़ा शपथ कैसे ले सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि स्पीकर जैसा संवैधानिक पद खाली कैसे रखा जा सकता है। इस पर भाजपा की ओर से पलटवार करते हुए कहा कि देवड़ा ने मंत्री पद की शपथ लेने से पहले विधानसभा के प्रमुख सचिव को अपना इस्तीफा भेज दिया था। उसके बाद ही उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली थी।
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