नई दिल्ली । रूस के
विवादास्पद टीके को
छोड़ दिया जाए
तो दुनिया में
अभी तक कोरोना
का कोई टीका
बाजार में नहीं
आया है, लेकिन
धनी देशों में
टीके को खरीदने
की होड़ लग
चुकी है। अनुमान
है कि 2021 के
अंत तक दुनिया
में टीकों की
चार अरब डोज
तैयार हो सकती
हैं, लेकिन इनमें
से दो अरब
से ज्यादा डोज
पहले ही धनी
देश अपनी जनता
के लिए खरीद
चुके हैं। कम
एवं मध्य आय
वाले देश इस
दौड़ में पिछड़
गए हैं। एक
रिपोर्ट में कहा
गया है कि
आठ प्रमुख टीकों
में से छह
टीकों पर धनी
देश पहले ही
काबिज हो चुके
हैं। उन्होंने छह
टीकों में दो
अरब डोज की
बुकिंग कर ली
है। वे टीका
बनाने वाली कंपनियों
के साथ करार
कर चुके हैं।
उन्हें भुगतान भी कर
रहे हैं। रिपोर्ट
के अनुसार आस्ट्राजेनिका
के टीके के
सबसे पहले आने
की संभावना है।
कंपनी अगले साल
के अंत तक
2.94 अरब खुराक तैयार करेगी,
जिसमें यूरोप, अमेरिका, ब्रिटेन,
जापान तथा 92 लघु
एवं मध्यम आय
देशों ने 2.4 अरब
डोज बुक कराई
है। सबसे बड़ी
हिस्सेदारी विकसित देशों की
है। दूसरे टीके
नोवाक्स की
1.35 अरब डोज तैयार
होने की संभावना
है, जिसमें अमेरिका
एवं ब्रिटेन ने
16 करोड़, फाइजर के टीके
में अमेरिका, जापान
एवं ब्रिटेन ने
23 करोड़, मॉडर्ना के टीके
में अमेरिका ने
10.45 करोड़, जॉनसन एंड जॉनसन
के टीके में
यूरोप, अमेरिका एवं ब्रिटेन
ने 33 करोड़, स्नोफी
के टीके में
यूरोप और अमेरिका
ने 46 करोड़, वलनेवा
टीके में ब्रिटेन
ने छह करोड़,
सिनोवाक में ब्रिटेन
ने 37 करोड़, क्योरवैक
में यूरोप ने
22.5 करोड़ खुराक खरीदी हैं।
गरीब एवं विकासशील
देशों को टीके
उपलब्ध कराने के लिए
ग्लोवल वैक्सीन इनिसियेटिव यानी
गावी ने कोवाक्स
फंड बनाया है।
उसने दो अरब
खुराद खरीदने का
लक्ष्य रखा है।
जिनमें से एक
अरब वह 92 कम
एवं मध्यम आय
देशों को मुफ्त
देगी तथा एक
अरब टीके 75 धनी
देशों को मूल्य
लेकर दिए जाएंगे।
इस प्रकार धनी
देशों को एक
अरब टीके इस
चैनल से भी
मिलने जा रहे
हैं, लेकिन गावी
को इसके लिए
एडवांस 18 अरब डालर
कंपनियों को भुगतान
करने होंगे। 30 करोड़ का करार
वह आस्ट्राजेनिका से
कर चुकी है।
ब्रिटेन ने सबसे
ज्यादा प्रति नागरिक पांच
खुराक के हिसाब
से टीके की
खरीद आरंभ की
है। जबकि अमेरिका
एवं यूरोपीय यूनियन
दो खुराक प्रति
व्यक्ति खरीद रहे
हैं। जापान का
भी करीब-करीब
यही रुख है।
रिपोर्ट में कहा
गया है कि
सीरम इंस्टीट्यूट ने
आस्ट्राजेनिका के टीके
के एक अरब
डोज प्रतिवर्ष बनाने
का ऐलान किया
है, लेकिन इसमें
से वह आधे
भारत को तथा
आधे गावी एवं
अन्य देशों को
प्रदान करेगा।