भोपाल । औद्योगिक संस्था एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र (एआईएमपी) के चुनाव में अब किसी भी कंपनी के मालिक, सीईओ, डायरेक्टर या पार्टनर ही खड़े हो सकेंगे। 60 साल पुरानी संस्था ने अपने विधान में संशोधन कर दिया है। एआईएमपी की 61वीं साधारण सभा में विधान परिवर्तन को मंजूरी दे दी गई।
एआईएमपी की साधारण सभा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। संस्था के पदाधिकारी एआईएमपी के पोलोग्राउंड स्थित मुख्यालय से साधारण सभा में शामिल हुए। साधारण सभा में विधान संशोधन को मंजूरी दी गई कि अब किसी भी कंपनी के प्रतिनिधि संस्था के चुनावों में मतदान तो कर सकेंगे लेकिन उम्मीदवार नहीं बन सकेंगे। कंपनी में संचालक स्तर के अधिकारी ही चुनाव में खड़े सकेंगे। अगले वर्ष संस्था के चुनाव होना है। एआईएमपी के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने छह माही रिपोर्ट साधारण सभा में प्रस्तुत की।
पूर्व पदाधिकारियों का विरोध
एआईएमपी के विधान में संशोधन का संस्था के पूर्व पदाधिकारियों ने ही विरोध किया। संस्था में उद्योग यानी कंपनी को सदस्यता दी जाती है। कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर कंपनी का अधिकारी संस्था के क्रियाकलापों में भागीदारी करता है। अब तक संस्था का विधान इस पर खामोश था कि कंपनी का प्रतिनिधि चुनाव लड़े या न लडें। बीते वर्षों में संस्था में कंपनियों के प्रतिनिधि भी अध्यक्ष, सचिव जैसे पदों पर चुने गए। संस्था के पूर्व अध्यक्ष आलोक दवे समेत कई अन्य सदस्यों ने विधान संशोधन का विरोध किया। इन्होंने कहा कि इससे बड़े उद्योगों की सहभागिता संस्था में कम होगी। बड़ी कंपनियों के संचालक सीधे संस्था में भागीदारी करने नहीं आ पाते हैं। वे अपने प्रतिनिधि को नियुक्त करते हैं। नए नियम के बाद ऐसे प्रतिनिधि चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। ऐसे में बड़े उद्योग संस्था से जुड़ेंगे क्यों? हालांकि मौजूदा पदाधिकारियों ने बचाव करते हुए कहा कि असल में मालिक और संचालक ही उद्योगों की परेशानी समझते हैं। कर्मचारी बदलते रहते हैं ऐसे में उन्हें उम्मीदवारी का अधिकार दिए जाने का औचित्य नहीं है।