सरकार और न्यायालय ने जिस तरह व्यवस्था दी की सूदखोरों पर एफ आई आर दर्ज हो और पीड़ितों के कर्ज माफ हो। अनैतिक तरीके से व्यापार करने वालों पर भी कार्रवाई होती है। ठीक उसी तरह कई डॉक्टर ऐसे हैं जो मरीजों की जांचे करवाते हैं और जांच करने वाली एजेंसियों से 40 से 50 % कमीशन लेते हैं। मरीजों का शोषण करते हैं, जांचे भी एक दो नहीं ढेर सारी करवाते हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती है ऐसे डॉक्टर आपको दवाई भी ऐसी लिखेंगे जो इनके आसपास ही मिलेगी और उस पर भी तगड़ा कमीशन लेते हैं। कई ईमानदार डॉक्टर हैं जिन्हें बड़ा दुख होता है कि इस पवित्र पेशे को कुछ लालची डॉक्टरों ने मैला कर दिया। इन परिस्थितियो में सरकार को स्वतः ज्ञान लेकर कमीशन खोर डॉक्टर, कमीशन देने वाली लेब और कमीशन देने वाली फार्मा कंपनी के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कर सकती है। उनके खिलाफ मरीजों का शोषण करने की कार्रवाई कर सकती है। पीड़ित मरीज कार्रवाई नहीं कर पाता क्योंकि वह डॉक्टर को भगवान मानता है, उसे अपनी सेहत सुधारने की जद्दोजहद रहती है उसके घरवाले जाने कहां-कहां से पैसा लाकर भरते हैं। अभी हमने देखा कोरोना काल में हॉस्पिटल, नर्सिंग होम वालों ने जमकर लूटा। सरकार चाहे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती है। किसी भी आपदा के समय कोई भी एजेंसी पीड़ितों को लूट नहीं सकती यही भारतीय सभ्यता रही है। सरकार ऐसे सब लुटेरों के खिलाफ कार्रवाई करें।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने विचार है )
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