नगरी निकाय चुनाव: किस से डर रही हैं भाजपा - कांग्रेस ?
Updated on
09-02-2021 01:28 PM
मध्यप्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियां जोर शोर से भाजपा और कांग्रेस ने प्रारंभ कर दी हैं। दोनों ही पार्टियां चुनावों को लेकर मनोवैज्ञानिक दबाव में है। सवाल यही है कि आखिर किससे डर रही हैं ? दोनों ही अपने पिछले प्रदर्शन से डरी हुई हैं। इसके साथ ही साथ बसपा, कुछ अन्य दलों तथा निर्दलीयों को लेकर भी अंदर ही अंदर डरी हुई हैं क्योंकि यह छोटे चुनाव होते हैं और राष्ट्रीय दलों से अधिक इसमें उम्मीदवार की छवि और उसकी पकड़ चुनाव नतीजों को प्रभावित करती है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती पिछले नगरीय निकाय चुनाव में उसे जितनी सफलता मिली थी उसे दोहराने की है तो कांग्रेस के सामने चुनौती अपने पूर्व के कमजोर प्रदर्शन को अत्याधिक बेहतर करने की है। 16 नगर निगमों में भाजपा के ही महापौर थे और उसे इन सब पर फिर से जीत दर्ज कराना है अन्यथा कांग्रेस जोरशोर से प्रचार करेगी कि भाजपा का जनाधार कमजोर हो रहा है। भाजपा कांग्रेस को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती है कि वह फिर से प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत कर सके।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा इन प्रयासों में लग गए हैं कि पार्टी इन चुनाव में एक तरफा जीत हासिल करे। भाजपा की कल 9 फरवरी इन चुनावों के लिए गठित संचालन समिति की बैठक होने वाली है तो कांग्रेस फिर से अपने को प्रदेश में मजबूत करने के लिए संभागीय बैठकें आयोजित करने की शुरुआत राज्य की आर्थिक राजधानी इंदौर से करने वाली है। इन चुनावों को लेकर दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने लक्ष्य तय कर लिए हैं पर बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मुकाबले को रोचक बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे इसलिए देखने वाली बात यह होगी कि ये उम्मीदवार किसके उम्मीदों के पंख कुतरेंगे। इसके साथ ही अन्य दल भी अपने- अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में जीत- हार के समीकरण प्रभावित कर सकते हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शर्मा ने अपनी मैदानी तैयारियां भी तेज कर दी हैं और उन्होंने मंडला तथा जबलपुर प्रवास में पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से निकाय चुनावों के संदर्भ में कहा है कि कांग्रेस को क्लीन स्वीप करने के लिए जी-जान जान से जुट जाएं। इससे साफ है कि भाजपा का लक्ष्य इन चुनावों में प्रदेश को कांग्रेस मुक्त करने का है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ इस जुगत में है कि जितना संभव हो सके उतना निकाय चुनाव में प्रदेश को कांग्रेस युक्त बनाएं। भाजपा ने नगरीय- निकाय चुनाव के लिए भोपाल के पूर्व महापौर और पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता के नेतृत्व में एक संचालन समिति गठित की थी और 9 फरवरी को उसकी दूसरी बैठक होने जा रही है। पहली बैठक में इस समिति के सदस्यों को अलग-अलग जिलों में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने भेजा था। कल होने वाली बैठक में रिपोर्ट रखे जाने की संभावना है उसके बाद संचालन समिति हर जिले में चुनाव लड़ने की रणनीति तय करेगी। भाजपा इन चुनावों को काफी गंभीरता से ले रही है और वह 2018 विधानसभा चुनाव की तरह आत्मविश्वास के अतिरेक में नहीं रहना चाहती है।उस चुनाव में प्रदेश को कांग्रेस मुक्त प्रदेश बनाने का नारा बुलंद करते हुए वह खुद सत्ता से बाहर हो गई थी। दूध का जला छाछ को फूंक कर पीता है बशर्ते की वह कांग्रेस पार्टी ना हो क्योंकि अभी तक देखा गया है कि वह अपनी पिछली भूलों से यदा-कदा ही सीख लेती है। पिछले साल हुए 28 विधानसभा उपचुनाव की भूलों से वह कितना सबक लेती है यह उसकी चुनावी रणनीति और उम्मीदवार चयन के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। जहां तक भाजपा का सवाल है शिवराज इन दिनों शहरों में घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं और उससे कितना प्रभाव मतदाताओं पर पड़ता है यह चुनाव नतीजों से ही पता चल सकेगा।
10 फरवरी तक प्रभारियों से मांगी रिपोर्ट
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी मार्च-अप्रैल माह में संभावित निकाय चुनाव की तैयारियों को काफी गति दे दी है। 10 फरवरी तक प्रभारियों से प्रत्याशियों को लेकर रिपोर्ट तलब की गई है। इसके साथ यही भी तय किया गया है कि चुनावों के लिए वचन-पत्र स्थानीय आवश्यकताओं और लोगों की आकांक्षा को समाहित करने के लिए स्थानीय स्तर पर ही तैयार कराया जाए। इसके लिए जिला संगठन से निकायवार जानकारी एकत्रित की जा रही हैं। उनमें महिला सुरक्षा, रोजगार , कालोनियों का विकास, हाट- बाजार की पुख्ता व्यवस्था, साफ सफाई और स्थानीय समस्याओं के समाधान पर अधिक फोकस रहेगा। बचन-पत्रों को अंतिम रूप प्रदेश स्तर पर दिया जाएगा परंतु इन्हें निकायवार ही जारी किया जाएगा। वचन-पत्रों को अंतिम रूप देने से पहले प्रदेश अध्यक्ष खुद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक कर विचार-विमर्श करेंगे। संभागीय बैठकों का सिलसिला भी प्रारंभ किया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष तथा संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर के अनुसार पहली बैठक इंदौर में 21 फरवरी को रखी गई है तथा दूसरी बैठक रीवा में 27 फरवरी को होगी। समझा जाता है कि इन बैठकों में संगठन से जुड़े मुद्दों के साथ ही निकाय चुनाव पर चर्चा होगी तथा इनमें वर्तमान विधायकों के साथ ही लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को भी आमंत्रित किया गया है। मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों पर फीडबैक लेने के साथ ही अगली तैयारियों पर चर्चा की जाएगी।
और अंत में............
जिस प्रकार कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव में रणनीति और वचन-पत्र निकायवार बना रही है उसी तरह नगर निगम चुनाव में 90 प्रतिशत पार्षद पद के उम्मीदवारों का चयन स्थानीय इकाइयां ही करेंगी तथा जिन वार्डों में आम राय नहीं बन पाएगी वही मामले प्रदेश कांग्रेस कमेटी को आएंगे। कमलनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी वार्ड में ज्यादा विवाद होने पर ही टिकट का मामला भोपाल तक लाएं अन्यथा जीतने लायक उम्मीदवार गुटबाजी से परे आम सहमति से तय करने का प्रयास किया करें। सवाल यही है कि सालों से गुटबाजी के दलदल में धंसी पार्टी उससे मुक्त हो पाएगी ?
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