नई दिल्ली भारत ने आज कहा कि उसने 1959 में चीन द्वारा एकतरफा ढंग से परिभाषित तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को कभी भी स्वीकार नहीं किया है। इसलिए चीन सभी द्विपक्षीय समझौतों एवं सहमतियों का पालन करे तथा एलएसी की अपनी मनमानी व्याख्या भारत पर जबरन थोपने की कोशिश नहीं करे। एक मीडिया रिपोर्ट में चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा पहली बार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उसका पक्ष साफ किये जाने के बाद भारत ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है। रिपोर्ट के अनुसार चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह सात नवंबर 1959 को चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई द्वारा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लिखे पत्र में प्रस्तावित एलएसी का पालन करता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां कहा कि हमने 29 सितंबर के समाचार पत्र में इस बारे में रिपोटर् को देखा है। भारत ने 1959 में एकतरफा ढंग से परिभाषित तथाकथित एलएसी को कभी स्वीकार नहीं किया और भारत का यह रुख चीन सहित सभी को अच्छी तरह से पता है। श्रीवास्तव ने कहा कि चीन के दावे से अलग 1993 के शांति एवं स्थिरता बनाये रखने संबंधी समझौते, 1996 के सैन्य स्तर पर परस्पर विश्वास बहाली उपायों संबंधी करार, 2005 के विश्वास बहाली के उपायों के क्रियान्वयन के प्रोटोकॉल, 2005 के भारत चीन सीमा प्रश्न के समाधान के लिए दिशानिर्देशक सिद्धांतों एवं राजनीतिक मानदंडों पर समझौते में भारत एवं चीन ने एलएसी के स्पष्टीकरण एवं पुष्टि तथा एलएसी के निर्धारण को लेकर एक समान समझ कायम करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। प्रवक्ता ने कहा कि वास्तव में दोनों पक्ष वर्ष 2003 तक एलएसी को स्पष्ट करने एवं उसकी पुष्टि करने की प्रक्रिया को क्रियान्वित कर रहे थे, लेकिन उसके बाद चीनी पक्ष द्वारा इसके लिए इच्छा नहीं दिखाये जाने के कारण यह प्रक्रिया नहीं बढ़ पायी। उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष द्वारा अब यह कहा जाना कि केवल एक ही एलएसी है, पुराने समझौतों में चीन द्वारा व्यक्त प्रतिबद्धताओं के विपरीत है। प्रवक्ता ने कहा कि हमने पहले भी स्पष्ट किया है कि भारतीय पक्ष ने एलएसी का हमेशा सम्मान किया और पालन किया है।