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चीन ने तैनात की परमाणु मिसाइल, निशाने पर भारत

Updated on 06-08-2020 09:57 PM
भारत के आज के कदम इतिहास के निर्णायक कदम हैं। भावी स्वतंत्र विश्व की सुरक्षा व व्यवस्था इस समय के राष्ट्र नायकों और जनता पर निर्भर है। इस रक्षा की घड़ी में भारत को मुख्य रूप से सोचना होगा, कि उसकी नीतियों के स्वरूप कैसे हों और उन नीतियों की चरितार्थकता कितनी शीघ्र हों ?
भारत-चीन की सामाजिक क्षमताओं का विश्लेषण समसामयिक होगा। भारतभूमि पर चीनी आक्रमण ने इस उत्तरदायित्व को और बढ़ा दिया है। मुख्य रूप से परमाणु मिसाइलों की तैनाती, जिनका खुलासा उपग्रह से ली गई तस्वीरों से हुआ, जिसमें चीन ने लद्दाख से 600 किमी. दूर परमाणु बमवर्षक तैनात किए हैं। इस मिसाइल का नाम डीएफ-26/21 है। यह मिसाइल चीन के शिन जियांग प्रांत के कोर्ला आर्मी बेस पर तैनात की है। सेटेलाइट तस्वीरों में ये बड़ा खुलासा हुआ है। मुख्य रूप से मिशाइल की तैनातियों की भावी राजनीति आर्थिक प्रतिष्ठानों पर पहले चोट पहुंचाएगी। नदी घाटी परियोजना, विशाल विद्युत केन्द्रों, स्टील प्लांटों को नष्ट करने की मंशा उजागर करती है।
भारत के आर्थिक प्रतिष्ठानों, उद्योगों के केन्द्र, जल-आपूर्ति के संसाधन इन चीनी मिसाइलों के दायरे में है। कुछ बड़े औद्योगिक शहर और राजधानियां भी चीनी मिसाइल के दायरे में हैं। इसके अतिरिक्त खुफियागिरी का खौफ अंतर्राष्ट्रीय व्यवहारों में चल ही रहा है। इसके अतिरिक्त कपटपूर्ण व तंग आक्रमण दीर्घ नियोजनों के फल हैं और ये दीर्घ-अवधि तक चलेगा। चीन एक ऐसा देश है, जिसकी आर्थिक नीतियां लगभग विश्व के संपूर्ण राष्ट्रों से भिन्न हैं। साम्यवादी समाज की रचना ने पहले के साम्यवादी राज्यों से भी चीन का मतवाद भिन्न है। चीन ने भारतीय सीमा से हटकर बड़े पैमाने पर अपनी परमाणु हथियार ले जाने में सझम मिसाइलें तैनात कर दी हैं, जिसके निशाने पर भारत के तमाम शहर हैं।
ये बात सामने आई हैं, कि चीन भारत के विरुद्ध घातक तैयारी में है। सेटेलाइट जो तस्वीरें बता रही हैं, वो बेहद चौकाने वाली हैं। एक तरफ तो चीन शान्ति वार्ता के लिए लगातार बैठक कर रहा है। दूसरी तरफ भारत से लगती सीमाओं पर परमाणु मिसाइलें तैनात कर रहा है। एलएसी के नजदीक परमाणु मिसाइलों की तैनाती भारत के लिए चिन्ताजनक तो है ही, विश्व की शान्ति व्यवस्था को भंग करने की साजिश भी है। चीन ने ऐसी जगह पर परमाणु मिसाइलें तैनात की हैं, जहां से मिनटों में वह भारत तक अपना शिकार बना सकता है। यांग चेन युंग द्वारा प्रकाशित एक पत्र के अनुसार चीन ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज करते हुए एक मिसाइल हमले की पूरी चेतावनी को पूरा किया है। चीन दुश्मन के परमाणु मिसाइलों का पता लगा सकता है। इस तरह के सिस्टम के विकास के लिए समुद्र आधारित राडार के साथ मिसाइल के लांचिंग सेंटर का पता लगाने के लिए मदद मिलती है।
चीन ने कासगर में भूमिगत परमाणु बेस के निर्माण कार्य शुरू कर दिया है, जहां वह अपने परमाणु शस्त्र को छुपाने के लिए उपयोग में लाएगा। काराकोरम दर्रे से 475 किमी. दूर कासगर को भारत के खिलाफ कार्रवाही करने के लिए सीधी तैनाती के रूप में देखा जाता है। चीन की संदिग्ध "नो फस्ट यूज" नीति को भले ही वो पालन करता हो, लेकिन संपूर्ण विश्व इसको संदेह की नजर से देखता है। चीन अपनी चालाकी और दबंगई से बाज नहीं आ रहा है। भारत में गलवान घाटी में सैन्य झड़प के बाद भी उसकी गतिविधियों में कोई सुधार नहीं आया है। परमाणु बम-वर्षक मिसाइलों की तैनाती उसकी नीयत को उजागर करती है।
आज चीन अपनी व्यापारिक नीति के जरिए भारत, आस्ट्रेलिया, कनाडा, श्रीलंका, भारत, ब्रिटे्रन, कोरिया आदि का प्रमुख बाजार बन गया है। अरब देशों में भारत के मुकाबले सस्ता माल बेचकर बाजार पर कब्जा करने की नीयत कर रखी है। पूंजी निर्माण कर एशिया एवं अफ्रीका के देशों में ऋण प्रदान कर रहा है। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर, तिब्बत, हांगकांग, ताइवान, भारत जैसे देशों के साथ सतत सीमा उल्लंघन भी कर रहा है। ये एक अजीब स्थिति और प्रश्न हैं। भारत के साथ चीन का झगड़ा आर्थिक दर्शन का संघर्ष है। भारतीय नियोजन की सफलता ही चीनी आक्रमण का उत्तर है। भारत के साथ चीन का रवैया अत्यंत रूढिग़्रस्त है। भारत भूमि पर चीनी आक्रमण ने भारत को अपनी कूटनीतिक क्षमताओं का विस्तार करने की ओर अग्रसित किया है। वहीं, सैन्य मजबूती की ओर भारत की पहल ने विश्व में भारत को मजबूती प्रदान की है।
यदि भारत और चीन के बीच परमाणु हमला होता है, तो फिर ये सिर्फ दो देशों का युद्ध नहीं होगा, बल्कि यह तृतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत होगी। चीन की विस्तारवादी नीतियों ने कई देशों के साथ उसके विवाद स्थापित किए हैं। चीन को लेकर विश्व के देश भारत के साथ खड़े हुए नजर आते हैं, लेकिन सबके अपने-अपने हित हैं। फिर भी भारत के खिलाफ परमाणु मिसाइलें तैनात करने पर विश्व चौकन्ना हुआ है और उसने चीन की निगरानी बढ़ा दी है। साथ ही विश्व की महाशक्तियां भी चीनी से दो-दो हाथ करने उत्सुक नजर आती हैं। राफेल के आने के बाद भारत बहुत मजबूत हुआ है। पर क्या भारत और चीन आपस में परमाणु युद्ध के लिए तैयार हैं ? क्या इससे दोनों देश बर्बाद नहीं हो जाएंगे ? परमाणु हमले के बाद चीन को क्या हासिल होगा ? यह सब विश्व समुदाय के लिए विचारणीय है। भारत को अपनी सैन्य क्षमता को और मजबूत किया जाना चाहिए और जिस भाषा में प्रश्न आए, उसी भाषा में उत्तर दिया जाना चाहिए।
वरिष्ठ लेखिका 
अनुराधा त्रिवेदी 

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