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उपचुनाव: आपकी सुनी, आपकी भी सुनी : अब हम करेंगे फैसला

Updated on 17-04-2021 11:27 AM
दमोह विधानसभा उपचुनाव में पिछले एक पखवाड़े से लगातार भाजपा और कांग्रेस नेताओं को सुन रहे दमोह के 2 लाख 39 हजार 709 मतदाता 559 मतदान केंद्रों पर 17 मार्च को मतदाता अपना फैसला ईवीएम में लॉक कर देंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का पूरा प्रयास इस मुद्दे पर रहा कि इस उपचुनाव को भाजपा बनाम दमोह की जनता और बिकाऊ बनाम टिकाऊ की लड़ाई में परिवर्तित किया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री सांसद दिग्विजय सिंह, राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह तथा पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव सहित कांग्रेस के सभी छोटे बड़े नेताओं का चुनाव प्रचार का यही केंद्रीय स्वर रहा। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर व प्रहलाद पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य भाजपा नेताओं का प्रचार मुख्य रूप से विकास के मुद्दे के साथ ही साथ  15 महीने की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर आरोपों की भरमार और मंत्रालय वल्लभ भवन को दलालों का अड्डा बना देने तथा हर वर्ग से वादाखिलाफी करने जैसे मुद्दों को उभारने पर अधिक केंद्रित रहा।  अभी तक जनता के बीच चुनावी मुद्दों को रखने की बारी राजनीतिक नेताओं की थी तो 17 अप्रैल का दिन मतदाताओं का रहेगा और वह अपना फैसला ईवीएम की बटन दबाकर लॉक कर देगा। 2 मई को मतगणना के साथ ही यह पता चल सकेगा कि कांग्रेस इस उपचुनाव को भाजपा बनाम जनता के बीच की लड़ाई बनाने में सफल रही या फिर मतदाताओं ने विकास के नाम पर जनादेश दिया।
चुनाव नतीजों से यह भी पता चल सकेगा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी लड़ाई कांटेदार रही या फिर कांग्रेस ने एक प्रकार से वॉकओवर दे दिया था, यह भाजपा उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन के मतों के अंतर से साफ होगा। 22 उम्मीदवारों के बीच हो रहे चुनावी मुकाबले में सीधा-सीधा कांटेदार मुकाबला भाजपा के राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस के अजय टंडन के बीच हो रहा है। भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान को देखा जाए तो यह कहा जा सकता है कि उपचुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता प्रचार की औपचारिकता करते नजर आए तो वहीं  सत्ताधारी दल भाजपा का प्रचार  बेहद आक्रामक शैली में रहा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर दूसरे दिन दमोह में चुनावी सभा कर रहे थे तो कांग्रेस नेताओं का ज्यादा फोकस बिकाऊ बनाम टिकाऊ और खरीद-फरोख्त की राजनीति तथा दलबदल पर केंद्रित था।
भाजपा और कांग्रेस के प्रचार की शैली
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा यहां पर डेरा जमाए रहे तो वहीं दूसरी और केवल दिग्विजय सिंह दमोह में दो रात और 2 दिन पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में लगे रहे और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का प्रयास किया। कमलनाथ के उम्मीदवारों के नामांकन शुरू होने के बाद तीन दौरे हुए लेकिन हर बार वह कुछ घंटे ही दमोह में रहे। 14 अप्रैल अंबेडकर जयंती को कमलनाथ ने दमोह में एक प्रभावी रोड शो किया इसका मतदाताओं पर कितना प्रभाव पड़ा इसका मतदाताओं द्वारा फैसला करने की घड़ी आ गई है। जिस प्रकार भाजपा अध्यक्ष शर्मा ने यहां डेरा डाला वैसा डेरा कांग्रेस के किसी ऐसे नेता ने नहीं डाला जिसकी कम से कम प्रदेश व्यापी पहचान रही हो। क्षेत्रीय सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी लगभग क्षेत्र में ही डेरा डाले रहे और राहुल सिंह लोधी की जीत पक्की करने के लिए काफी सक्रिय नजर आए। अजय सिंह और अरुण यादव ने भी अजय टंडन के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। कांग्रेस का दावा है कि वह वह इस बार बदली हुई रणनीति से चुनाव लड़ रही है और सारी जमावट प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महामंत्री रहे विधायक रवि जोशी कर रहे हैं और वही वहां डेरा डाले हुए हैं। कांग्रेस की बदली हुई रणनीति कितनी कारगर रही यह चुनाव परिणाम से ही पता चल सकेगा। वैसे कांग्रेस ने अपने आधा दर्जन से अधिक पूर्व मंत्रियों और विधायकों को चुनाव की जिम्मेदारी दी है। लेकिन ये चेहरे भाजपा के दिग्गज नेताओं के मुकाबले प्रभावी नहीं माने जा सकते हैं। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे सुरेश पचौरी तथा कांतिलाल भूरिया जैसे चेहरे उपचुनाव के मैदान में दिखाई नहीं दिए। वहीं जयवर्द्धन सिंह, कमलेश्वर पटेल, जीतू पटवारी जैसे युवा चेहरे प्रचार करते नजर आए। कमलनाथ की रणनीति वही है जो 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में थी, बिकाऊ बनाम टिकाऊ। वोटर के बीच इस मुद्दे पर बात हो भी रही है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भाजपा के हर नेता को प्रचार में यह सफाई देना पड़ रही है कि राहुल लोधी क्षेत्र के विकास के लिए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं । कांग्रेस के स्थानीय नेता मतदाताओं के बीच यह प्रचारित कर रहे हैं कि शहर में संक्रमण भाजपा नेताओं के कारण बढ़ रहा है। कांग्रेस नेता वीरेन्द्र दवे कहते हैं कि दमोह में भाजपा के खिलाफ यहां की जनता चुनाव लड़ रही है। उनका कहना है कि  2018 में भी जनता शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ थी और आज भी है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा दमोह में कैंप किए हुए हैं। वे सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मिल रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार राहुल लोधी का दावा है कि यहां का वोटर विकास के साथ है।
और अंत में.............
दमोह क्षेत्र में चुनाव प्रचार में एक नारा तेजी से चल रहा है। वह नारा है "राहुल लोधी बहाना हैं, प्रहलाद को जिताना है "। प्रहलाद पटेल केंद्र में मंत्री हैं और दमोह से सांसद हैं। राहुल लोधी को कांग्रेस से भाजपा में लाने का श्रेय प्रहलाद पटेल के खाते में ही जाता है। पटेल और राहुल लोधी सजातीय हैं। इस क्षेत्र के जातीय समीकरण काफी पेचीदा हैं। लोधी उम्मीदवार के मैदान में होने पर अन्य जातियों के बीच ध्रुवीकरण हो जाता है। प्रहलाद पटेल के भी राजनीतिक विरोधी इस क्षेत्र में कम नहीं हैं। पटेल इस उपचुनाव के जरिए अपने विरोधियों को भी शांत करना चाहते हैं। उमा भारती का चुनावी सभा लेना भी स्थानीय समीकरणों को साधने की कवायद ही माना जा रहा है। उमा भारती ने चुनावी सभा में कहा कि पार्टी के लिए मैं और प्रहलाद पटेल चट्टान की तरह हैं। वे बोली जब संकट आता है हमें याद किया जाता है।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक, सुबह सवेर  
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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