हर व्यक्ति ने यह जानना चाहिए कि उसके शरीर की रचना क्या है। प्रकृति अनुसार हमारा शरीर एक मैकेनिज्म और आज तक हमारे शारिरीक रचना पर रिसर्च हो रहे हैं। कुदरत ने हमारे शरीर को वैसा ही बनाया जैसा कि एक बीज से पौधा निकलकर एक विशाल वृक्ष बनता है और कई बीजों को जन्म दे देता है। यही सब हमारी रचना में भी है। स्त्री पुरुष के मिलन उपरांत महिला गर्भ धारण करती है और उसके पेट में रहकर हमारा विकास होता है अनुमानित 9 महीने में हम अपना स्वरूप ले लेते हैं और खुली दुनिया में हमारा जन्म होता है। हमारे शरीर की रचना इस प्रकार है कि हम मां का दूध पीकर बड़े होते हैं और धीरे-धीरे स्वयं कुछ खाना सीख जाते हैं और जो भी खाते हैं उसे हमारा शरीर बढ़ता है। यौवन आता है तब अत्याधिक ऊर्जा हमारे शरीर में रहती है पर धीरे-धीरे समय के साथ हमारी ऊर्जा भी कम हो जाती है। कुदरत ने शरीर इस ढंग से बनाया कि जैसे हमारी हड्डी टूटने पर हमारा शरीर स्वयं उसे जोड़ लेता है वैसे ही यदि कोई वायरस या बीमारी आती है तो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता उसे मार देती है। हमारे शरीर में ही कई बीमारीयो का इलाज है जैसे उपवास रखने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। मेहनत करने से हम ऊर्जावान बने रहते हैं। सोचे हमारे शरीर को हम कैसा रखना चाहते हैं, आलसी होकर खूब खाना खाकर शरीर बिगाडे या मेहनती होकर नियमित दिनचर्या और आहार के साथ शरीर को स्वस्थ रखे। अशोक मेहता इंदौर लेखक पत्रकार पर्यावरणविद ये लेखक के अपने विचार है I
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