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जनमत के वृक्ष पर डाल- डाल और पात - पात भटक रही भाजपा और कांग्रेस

Updated on 30-01-2022 11:30 AM
 मध्यप्रदेश में इन दिनों भाजपा व कांग्रेस के बीच तू डाल-डाल तो मैं पात-पात जैसी प्रतिस्पर्धा 2023 के विधानसभा तथा उसके बाद के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रारंभ हो गयी है। इसको देखते हुए कहा जा सकता है कि जनमत के वृक्ष पर डाल-डाल और पात-पात भटक रही हैं भाजपा और कांग्रेस।  भाजपा जहां स्मार्ट बूथ के माध्यम से जंग जीतने की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी इसी उद्देश्य से साल भर तक चुनावों की तैयारी के लिए अभी से ठोस तैयारियां करना चालू कर दिया है और ऐसा प्रतीत होता है कि अब कांग्रेस सोशल मीडिया से बाहर निकल कर मैदान में नजर आयेगी, जबकि भाजपा तो हमेशा ही मैदान में चुनाव लड़ने की मुद्रा में नजर आती है। एक फरवरी से कांग्रेस बूथ-बूथ सम्पर्क अभियान चलायेगी और प्रदेश में घर-घर चलो के नारे के साथ हर घर में दस्तक देने जायेगी। देखने वाली बात यही होगी कि किसके कार्यकर्ता पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ इस अभियान को अमलीजामा पहनाते हैं, इस पर ही चुनावी नतीजे निर्भर करेंगे।
             भाजपा की 2023 मे मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में न केवल चुनाव जीतने की  केवल उम्मीद लगा रखी है बल्कि प्रदेश को अपने अजेय गढ़ में परिवर्तित करने की दृष्टि से भाजपा अपना  वोट शेयर 51 प्रतिशत करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी सामने रखा है। इसके लिए बूथ स्तर पर डिजिटल डाटा भाजपा बनायेगी। भाजपा ने अपने पितृ -  पुरुष पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे के जन्म शताब्दी वर्ष में संगठन पर्व के सहारे बूथ विस्तारक योजना पर तेजी से काम करना आरम्भ कर दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद सिंह पटेल, वीरेंद्र कुमार सहित भाजपा के सभी प्रदेश पदाधिकारी और वरिष्ठ  नेता बूथ  विस्तारक योजना में बूथ-बूथ दस्तक देते हुए इस अभियान को जमीनी धरातल पर उतारने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। आला नेता कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं और साथ में मतदाताओं से भी संपर्क कर रहे हैं। एक कदम आगे बढ़ते हुए भाजपा ने स्मार्ट बूथ योजना को अमलीजामा पहनाना भी शुरु कर दिया है जिसके तहत बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को भी नई पहचान मिल सकेगी और वह पूरे मनोयोग से पार्टी का आधार बढ़ाने के अभियान में जुट जायेंगे। 51 प्रतिशत वोट शेयर करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पैंसठ हजार बूथों के अध्यक्ष, महामंत्री व बूथ एजेंट को पार्टी संगठन में विषेश महत्व देने जा रही है।
भाजपा बूथ को डिजिटल बनाकर नेतृत्व करने वाले अध्यक्ष, महामंत्री, एजेंट सहित पन्ना प्रमुखों को अलग से विशेष कोड यानी पहचान देने जा रही है। इससे पार्टी को एक लाभ यह होगा कि इस कोड के जरिए राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और प्रदेष अध्यक्ष से सीधे संपर्क किया जा सकेगा। भाजपा को भरोसा है कि इससे पार्टी में एक नया नेतृत्व उभरेगा और चुनाव में मजबूती से बूथ स्तर पर जीत आसान हो सकेगी। इस कवायद से पार्टी को यह भी भरोसा है कि वह राज्य के कोने-कोने तक हर वर्ग में अपनी पकड़ को और मजबूत कर सकेगी। केन्द्र व प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को भी एकजुट करने में उसे सफलता मिलेगी। इसके माध्यम से वह विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों का एक मजबूत वोट बैंक अपने पक्ष में खड़ा कर सकेगी। बूथ पर अध्यक्ष, महामंत्री और बीएलए यानी बूथ लेवल एजेंट को संगठन में त्रिदेव की संज्ञा दी गयी है और इन्हें ही  स्मार्ट कार्ड दिया जायेगा, जिस पर यूनिक नम्बर के साथ पूरा परिचय भी होगा। पन्ना प्रमुखों को भी विशिष्ट पहचान पत्र दिया जायेगा। बूथ विस्तारक योजना के तहत बूथ समिति की जानकारी रजिस्टर और संगठन एप में दर्ज कर रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा का मानना है कि पर्दे के पीछे रहकर विचारधारा के लिए बूथ पर काम करने वाले कार्यकर्ता के प्रयासों की वजह से ही हम मजबूत हैं। हमारा नेतृत्व गरीब के घर से निकलता है और बूथ स्तर पर काम करने वाला अध्यक्ष भी यहां राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश का गृहमंत्री बन सकता है। इस सिलसिले में उन्होंने अमित शाह का उदाहरण भी दिया।  
‘घर-घर‘‘ चलो अभियान का आगाज करेंगे कमलनाथ
2023 के विधानसभा चुनाव में फिर से अपनी सरकार बनाने के लक्ष्य को लेकर कांग्रेस बूथ-बूथ और घर-घर चलो अभियान चलाने जा रही है। इसका आगाज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 01 फरवरी को देवास से करेंगे। इस अभियान के तहत पार्टी बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने के काम को अंजाम देगी और इसके लिए  कमलनाथ ने सभी नेताओं को बूथ मजबूत करने के काम में जुट जाने के लिए कहा है। पूरे फरवरी माह कांग्रेस का यह अभियान चलेगा और उसके बाद आगामी विधानसभा चुनाव तक पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए कांग्रेसजन सक्रियता से मैदान में नजर आयेगे और घर-घर दस्तक देंगे। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री मीडिया के.के. मिश्रा यह मानते हैं कि संगठन की मजबूती के लिए यह एक महत्वाकांक्षी अभियान है इसमें कार्यकर्ता हर घर व हर वर्ग तक संपर्क करेंगे और उन्हें पार्टी की नीतियों व कार्यक्रमों से अवगत करायेंगे। मिश्रा ने अभियान के बारे में जो कुछ कहा है उससे यही प्रतिध्वनि निकलती है कि 15 माह की कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में विभिन्न वर्गों के कल्याण के लिए जो कदम उठाये गये थे उनकी जानकारी देने के साथ ही साथ केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार और प्रदेश की शिवराज सिंह चैहान सरकार की असलियत उसकी नजर में जो है और जो उनकी विफलताएं हैं तथा उनके अनुसार जो नीतियां जन-विरोधी हैं उसकी जानकारी भी जनता को दी जायेगी। मतदान केन्द्र को सबसे सशक्त इकाई कांग्रेस बनाने जा रही है जिसके पहले चरण में बूथ, मंडलम् और सेक्टर स्तर पर समिति गठित होंगी। अधिकांश जिलों में तो यह काम पूरा हो चुका है और अब सभी कांग्रेस कार्यकर्ता प्रत्येक मतदान केंद्र पर पहुंचकर संपर्क अभियान चलायेंगे। कांग्रेस का जोर इस बात पर होगा कि उसने 15 माह में क्या किया और 2023 के बाद यदि राज्य में कांग्रेस सरकार बनती है तो वह क्या करेगी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस की इस कवायद का मकसद आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मुद्दों की तलाश करना और अपनी जीत सुनिश्चित करना है।
और यह भी
    कमलनाथ की सोच है कि अब राजनीति स्थानीय हो गयी है और भीड़ वाली बड़ी रैलियों तथा सभाओं का दौर जा चुका है। अब जनता से सीधे संपर्क व संवाद रखने वाला नेता ही आगे भविष्य में टिक पायेगा, हमें इस सच्चाई को समझना होगा और बिना मजबूत संगठन के हम चुनाव नहीं जीत सकते। 18 माह चुनाव को शेष बचे हैं, इसलिए हमें अब जी-जान से जुटना होगा। कमलनाथ ने जो कहा है उसमें देखने वाली बात यही होगी कि मैदान में जी-जान से भिड़ने वाले निष्ठावान कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा या फिर नेताओं की गणेश परिक्रमा करने वाले ही अवसर पायेंगे और प्रत्याशी चयन के समय नेताओं को उनके चेहरे ही याद रहेंगे। कांग्रेस फिलहाल ट्वीटर और सोशल मीडिया तक ही अपनी सक्रियता तेजी से दिखाती रही है लेकिन अब लगता है कि उसे यह अहसास हो चुका है कि केवल इसी माध्यम के सहारे चुनावों में मैदानी जंग नहीं जीती जा सकती है इसलिए अब वह बाहर मैदान में निकलने का मन बना रही है।
अरुण पटेल,लेखक,प्रबंध संपादक सुबह सवेरे  (ये लेखक के अपने विचार है)

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