नई दिल्ली ।बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर है। करीब एक सप्ताह के बाद चुनाव परिणाम की घोषणा हो जाएगी। पर, कांग्रेस के लिए इन चुनाव की अहमियत सिर्फ बिहार में सत्ता तक पहुंचना नहीं है, चुनाव के नतीजे पार्टी की अंदरूनी सियासत पर भी असर डालेंगे। क्योंकि, पार्टी के अंदर नए अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया जारी है। ऐसे में बिहार परिणाम इन चुनाव पर भी असर डालेंगे। विधानसभा चुनाव में पार्टी की तरफ से प्रचार का जिम्मा राहुल गांधी संभाल रहे हैं। वह मोदी सरकार पर आक्रामक हैं। ऐेसे में राहुल गांधी के तेवरों को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह पार्टी के अंदरूनी चुनाव के जरिए अध्यक्ष के तौर पर वापसी कर सकते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है, तो उनकी राह और आसान हो जाएगी। कांग्रेस के 23 असंतुष्ट नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन से संबंधित कुछ सवाल उठाए थे। इसके बाद पार्टी ने असंतुष्ट नेताओं को साथ लेकर चलने की कोशिश करते हुए कुछ बदलाव भी किए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहता है, तो असंतुष्ट नेता एक बार फिर मुखर हो सकते हैं। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डवलपिंग सोसाइटी के निदेशक संजय कुमार कहते हैं कि बिहार चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो असंतुष्ट नेताओं का स्वर दबेगा। पर दिक्कत यह है कि पार्टी कितना अच्छा प्रदर्शन कर लेगी कि विरोध के स्वर दब जाएं। कुछ समय के लिए ऐसा हो सकता है। क्योंकि, इसके बाद आने वाले विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस के लिए बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने असंतुष्ट नेताओं की तरफ से लिखे गए पत्र को लेकर हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण का गठन किया था। प्राधिकरण की कई दौर की बैठक हो चुकी है। प्राधिकरण के एक पदाधिकारी ने कहा कि अगले साल कई राज्यों के होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।