भारतीय जनता पार्टी की हैदराबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक और उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जिस प्रकार का उद्बोधन दिया गया उसका केन्द्रीय स्वर यही है कि भाग्यनगर ( हैदराबाद) दक्षिण भारत में भाजपा के भाग्योदय का प्रवेश द्वार मानकर जिन क्षेत्रों में अभी भाजपा की पहुंच कम है उनमें अपने फैलाव का शंखनाद करना है। ऐसा करते समय उसे अल्पसंख्यकों (मुसलमानों )को भी साथ लेने में परहेज नहीं होगा। गरीबों और खासकर पिछड़े वर्ग के लोगों के बीच भाजपा का तेजी से जनाधार फैल रहा है, उसे और विस्तारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी नेताओं को अल्पसंख्यकों के पिछड़े वर्गों और खासतौर पर पसमंदा मुसलमानों के बीच भाजपा की पकड़ मजबूत बनाने का मंत्र देते हुए कहा है कि सरकार की योजनाओं का लाभ जिन्हें मिल रहा है उन तक पहुंचकर उन्हें पार्टी के पक्ष में लाना मुश्किल काम नहीं होगा। भाजपा के द्वारा पारित राजनीतिक प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जातिवाद, वंशवाद व तुष्टिकरण सबसे बड़ा पाप है। इस प्रकार उन्होंने देश के समक्ष मौजूदा समस्याओं के लिए इन तीनों को ही जिम्मेदार ठहराया। शाह ने दावा किया कि अगले तीस-चालीस साल तक भाजपा सत्ता में रहेगी तथा 2024 तक पूर्वोत्तर भारत को अलगाववाद सहित सभी समस्याओं से मुक्त करा लिया जायेगा, ऐसा उन्होंने भरोसा दिलाया। इससे यह संकेत मिलता है कि शाह का मुख्य केंद्रीय स्वर जातिवाद, वंशवाद और तुष्टिकरण से देश को निजात दिलाने पर ही था। शाह का दो-टूक शब्दों में यह मानना था कि राष्ट्रीय फलक पर इन दिनों कटुता और साम्प्रदायिक तनाव की जो परिस्थितियां पैदा हुई हैं उसके लिए तुष्टिकरण ही जिम्मेदार है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार का लक्ष्य रेखांकित करते हुए इस बात पर बल दिया कि उनकी सरकार का लक्ष्य तुष्टिकरण नहीं बल्कि योजनाओं को तृप्तिकरण तक ले जाना है क्योंकि देश अब परिवारवाद और परिवार केंद्रित दलों से ऊब चुका है। मोदी को भरोसा है कि ऐसे दलों के लिए टिके रहना मुश्किल है। मोदी ने हैदराबाद को भाग्यनगर कहकर सम्बोधित किया जिससे यह बात एकदम साफ हो गयी है कि आगामी चुनाव में भाजपा तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव के समक्ष विकास के मुद्दे के साथ ही साथ हिंदुत्व के सांस्कृतिक मूल्यों के सहारे कड़ी चुनौती पेश करने की दिशा में सधे हुए कदमों से आगे बढ़ेगी। विपक्ष के मौजूदा हालातों पर करारा व्यंग्य करते हुए मोदी ने अपनी पार्टी के नेताओं को भी सचेत करते हुए नसीहत लेने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने कहा कि हमारी सोच लोकतांत्रिक है, इसका सुबूत पीएम म्यूजियम है जिसमें सभी प्रधानमंत्रियों को स्थान दिया गया है। इनमें वे प्रधानमंत्री हैं जो भाजपा के धुर-विरोधी रहे हैं। अपनी पार्टी के नेताओं को सचेत करने के लहजे में उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक दल ऐसे हैं जो लम्बे समय तक सत्ता में रहे लेकिन अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। ऐसे दलों की स्थिति पर न तो हंसने की जरुरत है और न ही उन पर व्यंग्य करने की। इसकी बजाय ऐसे दलों से सीखने की जरुरत है कि उन्होंने ऐसी क्या गलतियां की हैं जिनकी वजह से उन पर अस्तित्व का संकट आ गया, ऐसी गलतियों से हमे बचने की जरुरत है। कर्नाटक में भाजपा सत्ता में है लेकिन वह पूरे दक्षिण भारत में विजय पताका फहराने का प्रवेश द्वार नहीं बन पाया। लेकिन हैदराबाद दक्षिण का प्रवेश द्वार कहा जा सकता है इसलिए यहीं से उन अंचलों में भी अपने आपको मजबूत करने का भाजपा ने संकल्प लिया है जो अभी तक उससे दूर हैं।
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