नई दिल्ली । पद्म विभूषण
पंडित जसराज की बेटी दुर्गा जसराज ने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि बापूजी का दिल
एक बच्चे की तरह था। वह लगातार सीखते रहने में विश्वास रखते थे। बता दें कि पंडित जसराज
का 17 अगस्त को 90 साल की उम्र में अमेरिका के न्यू जर्सी में निधन हो गया। दुर्गा
जसराज ने बताया, "मैं, मेरे भाई (संगीतकार शारंग देव) बापूजी को अपने पिता के
रूप में पाकर धन्य और भाग्यशाली महसूस करती हूं, क्योंकि हम सभी भारतीय शास्त्रीय संगीत
की दुनिया में उनके योगदान के बारे में जानते हैं। लेकिन उन्होंने जिस तरह अपना जीवन
व्यतीत किया उससे हमें उनके नक्शेकदम पर चलने की प्रेरणा मिली।" उन्होंने आगे
कहा, "हम एक ऐसे घर में पले-बढ़े हैं, जहां उनके कम से कम सात से 10 छात्र हमारे
साथ रहते थे, क्योंकि वे गुरु-शिष्य परंपरा में विश्वास करते थे। उन्होंने कभी उनसे
पैसे नहीं लिए क्योंकि उनके लिए यह "विद्या दान" था। जब हम बड़े हो रहे थे,
तब तक बापूजी एक सुपरस्टार बन चुके थे लेकिन तब भी उनके पास हम सभी के लिए समय होता
था।" उन्होंने बताया, "बापूजी का दिल बच्चे की तरह था। वह हमेशा कुछ न कुछ
नया सीखते रहते थे। लॉकडाउन के दौरान दुनिया भर में फैले स्टूडेंट्स को संगीत सिखाने
के लिए उन्होंने टेक्नॉलॉजी का उपयोग करना सीखा।" दुर्गा कहती हैं बापूजी हमारे
लिए एक आशीर्वाद की तरह थे, उन्होंने हमें सब कुछ दिया। संगीत में विभिन्न प्रयोगों
के लिए मशहूर पंडित जसराज को लेकर उनकी बेटी कहती हैं, "बापूजी बहुत खुले विचारों
वाले थे और हमेशा हमें प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। लेकिन बापूजी कुछ चीजों
को लेकर बहुत सख्त थे। अनुशासन और शारीरिक फिटनेस को लेकर वो बहुत सख्ती बरतते थे।
उन्होंने हमेशा कहा कि यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं तो आप किसी भी चीज में
उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकते।"