हर वर्ष श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के बाद नवरात्रि अश्विन माह में ही प्रारंभ होती है परंतु इस बार अश्विन मास में अधिक मास लगने के कारण आश्विन महीने में अधिमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा।
क्या करें
1 यह मास धर्म और कर्म के लिए बहुत ही उपयोगी मास है। अधिकमास के अधिपति देवता भगवान विष्णु है। इस मास की कथा भगवान विष्णु के अवतार नृःसिंह भगवान और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। इसीलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस माह में उक्त दोनों भगवान की पूजा करना चाहिए। पुरुषोत्तम भगवान का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
2 इस मास में श्रीमद्भागवत गीता में पुरुषोत्तम मास में श्रीराम कथा वाचन, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का पाठ करना चाहिए।
3 इस माह में जप और तप के अलावा व्रत का भी महत्व है। पूरे मास एक समय ही भोजन करना चाहिए जो कि आध्यात्मिक और सेहत की दृष्टि से उत्तम होगा।
4 इस मास में भगवान के दीपदान और ध्वजादान की भी बहुत महिमा है। इस माह में दान दक्षिणा का कार्य भी पुण्य फल प्रदान करता है। पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान और दान करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं और हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
5 इस माह में विशेष कर रोग निवृत्ति के अनुष्ठान, ऋण चुकाने का कार्य, शल्य क्रिया, संतान के जन्म संबंधी कर्म, सूरज जलवा आदि, गर्भाधान, पुंसवन, सीमांत जैसे संस्कार किए जा सकते हैं।
6 इस माह में यात्रा करना, साझेदारी के कार्य करना,मुकदमा लगाना, बीज बोना, वृक्ष लगाना, दान देना, सार्वजनिक हित के कार्य, सेवा कार्य करने में किसी प्रकार का दोष नहीं है।
क्या नहीं करें
1 इस पुरुषोत्तम माह में किसी भी प्रकार का व्यसन नहीं करें और मांसाहार से दूर रहें। मांस, शहद, चावल का मांड़, उड़द, राई, मसूर, मूली, प्याज, लहसुन, बासी अन्न, नशीले पदार्थ आदि नहीं खाने चाहिए।
2 इस महीने वस्त्र आभूषण, घर, दुकान, वाहन आदि की खरीदारी नहीं की जाती है परंतु बीच में कोई शुभ मुहूर्त हो तो ज्योतिष की सलाह पर आभूषण की खरीददारी की जा सकती है।