मांगा न कोई तख्त, न तो ताज ही लिया। अमृत दिया सभी को, मगर खुद ज़हर पिया ।। जिस दिन तेरी चिता जली पूरा भारत रोया । लोग कहते हैं,और सत्य कहते हैं, महात्मा कभी नहीं मरते,बापू तुम जिंदा हो,मैंने तुम्हें कल ही तो देखा था,चेहरा बदला हुआ था पर तुम्हारी झलक साफ दिख रही थी,मैं तुमको रोज़ देखता हूँ, तुम्हारी झलक मुझे कभी किसी सरकारी दफ्तर में ईमानदार अधिकारी में दिखती है,तो कभी पुलिस विभाग के कर्मठ अधिकारी में,कभी ग़रीब मज़दूर में और कभी किसी सामाजिक कार्यकर्ता में,पर तुम्हारी झलक किसी नेता में क्यों नहीं दिखी बापू,हमारे देश की धरती पर नेता रूपी जो प्राणी रहते हैं, वह तुमको और तुम्हारे आदर्शों से प्रेम नहीं करते,हां तुम्हारी तस्वीर जिन कागजों पर छिपी रहती है,इस युग में उन कागज़ के टुकड़ों को नोट कहा जाता है,उस कागज़ के टुकड़ों से बहुत प्रेम करते हैं,इस धरती के यह अजीबो-ग़रीब प्राणी जिन्हें हम नेता कहते हैं,अजीब तो होते हैं पर यह कम ही ग़रीब होते हैं, तुमको वर्ष में दो बार जरूर याद करते हैं,तुमको याद करना भी इनकी मजबूरी है,अगर तुमको यह भूल जाएंगे तो शायद जनता भी इनको भूल जाएगी । 2 अक्टूबर तुम्हारी तस्वीर को ढूंढ कर या खरीद कर लाते हैं,अगर पुरानी तस्वीर इनके गोदाम में रखी हुई मिल जाए,तो नौकरों से धूल चढ़ी तस्वीर को साफ करवाते हैं,फिर उस पर 50 रुपए की माला खरीद कर उस तस्वीर पर चढ़ाते हैं,फिर तुम्हारे आदर्शों पर लंबा चौड़ा भाषण दे कर तुम्हारा जन्मदिन मनाते हैं,बस एक बात अच्छी होती है बापू,तुम्हारे जन्मदिन के चक्कर में ग़रीब बच्चों को दो दो लड्डू खाने को मिल जाते हैं, ऐसे बनती है तुम्हारे जन्मदिन की पार्टी बापू, तुम भी सोचते होंगे क्या हो गया इस देश को,क्या हो गया इस देश के बाशिंदों को और क्या हो गया इस देश के नेताओं को । बापू आज 30 जनवरी है आज ही के दिन तुमने अपने शरीर को त्यागा था पर तुम्हारी आत्मा आज भी इस देश के चुनिंदा ईमानदार लोगों में बस्ती है, 74 साल पहले आज ही के दिन 30 जनवरी शाम 5:20 पर तुम प्रार्थना के लिए बिड़ला भवन से निकले थे,उस दिन तुम्हारी मीटिंग सरदार पटेल के साथ थी,बिड़ला भवन में शाम पाँच बजे प्रार्थना होती थी,लेकिन उस दिन बापू तुम और सरदार पटेल मीटिंग में व्यस्त थे। तभी सवा पाँच बजे तुमको याद आया कि प्रार्थना के लिए देर हो रही है। बापू उस दिन तुम बहुत थके हुए थे तुम से चलते ही नहीं बन रहा था इसलिए बापू तुमने आभा और मनु के कन्धों पर हाथ रखकर मंच की तरफ जा रहे थे और बापू तुम्हारे सामने नाथूराम गोडसे आ गया। उसने हाथ जोड़कर कहा नमस्ते बापू,बापू आपके साथ चल रही मनु ने कहा भैया सामने से हट जाओ,बापू को जाने दो। बापू को पहले ही देर हो चुकी है। लेकिन गोडसे ने मनु को धक्का दे दिया और अपने हाथों में छुपा रखी छोटी बैरेटा पिस्टल से बापू आपके सीने पर एक के बाद एक तीन गोलियाँ दाग दीं। दो गोली बापू आपके शरीर से होती हुई निकल गयीं जबकि एक गोली आपके शरीर में ही फँसी रह गयी। उस समय बाबू आप 80 से 2 वर्ष कम थे,आप के हौसले बुलंद थे, पर आपका शरीर कमज़ोर था, क्योंकि आए दिन हमारे लिए और हमारे देश के लिए अन्न जल छोड़ दिया करते थे,78 साल के महात्मा गांधी का उसी समय देहांत हो चुका था। बापू आपके शरीर को बिड़ला भवन में ढँक कर रखा गया था। बापू जब आपके सबसे छोटे बेटे देवदास वहाँ पहुँचे तो उन्होंने आप के शरीर से कपड़ा हटा दिया था ताकि दुनिया शान्ति और अहिंसा के पुजारी के साथ हुई हिंसा को देख सके। बापू तुमको जिन जिन बातों से घृणा थी आज वह सब चीजें राजनीति के औजार बन गए हैं भ्रष्टाचार चरम पर है, पर भ्रष्टाचार में जो औजार इस्तेमाल होता है शर्म की बात है उस औजार रूपी नोटों पर तुम्हारी तस्वीर छपी है । बापू तुम शहीद नहीं हुए हो,तुम अब भी जिंदा हो, इसलिए मैं कहता हूं तुम मुझे रोज दिखते हो । बापू तुमने विलास को त्यागा, तुमने वस्त्रों को त्यागा, खादी की चादर ओढ़ कर दुनिया को दिखाया।। अहिंसा से देश को
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…