नई दिल्ली । अमेरिका-चीन की मोर्चेबंदी के रूप में देखे जा रहे क्वाड के मौजूदा स्वरूप को विस्तार देना चाहता है। अमेरिका के उप विदेशमंत्री स्टीफन बीगन ने सोमवार को इंडो-यूएस फोरम में इसका साफ संकेत दिया। उन्होंने कहा कि भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका का समूह स्वतंत्र और खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए अन्य देशों की खातिर खोला जा सकता है। उल्लेखनीय है कि इन चारों देशों के समूह को क्वाड नाम से जाना जाता है। चीन के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका क्वाड देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर देता रहा है। बीगन ने इंडो यूएस फोरम में क्वाड का कई बार जिक्र किया। इससे साफ है कि अमेरिका हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड को मजबूत बनाने पर गंभीर है। बीगन से द्विपक्षीय मुलाकात के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने भी कहा था कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए दोनों देशों का नजरिया समान है। बीगन ने इंडिया-यूएस फोरम में बोलते हुए कहा, क्वाड साझा हितों पर आधारित साझेदारी है। इसे एक विशेष समूह बनाने का इरादा नहीं है। कोई भी देश जो स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत छेत्र की वकालत करता है और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने को तैयार है उसका हमारे साथ काम करने के लिए स्वागत किया जाना चाहिए। बीगन ने कहा हम एक बहुलतावादी दृष्टिकोण के साथ खड़े हैं जो यह सुनिश्चित करेगा कि क्वाड सहित क्षेत्र के विविध देश स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत में संप्रभु और समृद्ध राष्ट्र के रूप में पनप सकें। उन्होंने कहा, हमारे रणनीतिक रिश्तों को आज और कल की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है। पिछले सत्तर वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है, और हमारी अपनी सोच भी विकसित होनी चाहिए। अमेरिका ने क्वाड देशो के बीच विभिन्न स्तरों पर संवाद व संपर्क बढ़ाने के साथ आसियान देशो से संपर्क की भी जरूरत बताई है। गौरतलब है कि अमेरिकी उप विदेशमंत्री और भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने मार्च महीने में क्वाड देशो के अलावा हिंद प्रशांत छेत्र के अन्य देशों के साथ कोविड महामारी से निपटने की रणनीति पर साप्ताहिक संपर्क शुरू किया था। इसे भी क्वाड की विस्तार की मुहिम से जोड़कर देखा गया था। अमेरिका का स्पष्ट मानना है कि इस इलाके में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के लिए व्यापक रणनीतिक मोर्चेबंदी की जरूरत है। पिछले दिनों हुई बैठक में अमेरिका और जापान ने खुलकर चीन का नाम लेकर चिंता जाहिर की थी।