नई दिल्ली । महामारी कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सतत प्रयत्नशील चिकित्सा संसथानों में एक भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने बड़ा दावा किया और कहा कि हल्के और मध्यम कोराना मरीजों के उपचार में आयुर्वेदिक दवाएं प्रभावी हो सकतीं हैं। आयुष मंत्रालय के तहत दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के डॉक्टरों की एक टीम ने पाया है कि आयुष क्वाथ और फिफ्तरोल जैसी आयुर्वेदिक दवाएं कोरोना हल्के और मध्यम कोराना मरीजों के इलाज में प्रभावी हो सकते हैं।
एक जर्नल में प्रकाशित आयुर्वेद केस रिपोर्ट के अनुसार, चार आयुर्वेद दवाओं- आयुष क्वाथ, संशमनवती, फिफ्तरोल की गोलियां और लक्ष्मीविलास रस के उपयोग ने न केवल कोरोना मरीजों की स्थिति में सुधार किया, बल्कि इलाज के छह दिनों में रैपिड एंटीजन टेस्ट में वह नेगेटिव भी पाए गए। गौरतलब है कि वर्तमान में इस बीमारी का कोई विशेष इलाज नहीं है, जिससे दुनियाभर में 4.4 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 10 लाख से अधिक लोगों की इस वायरस के कारण मौत हो चुकी है।
कोरोना वायरस से संक्रमित एक 30 वर्षीय व्यक्ति के मामले का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके इलाज मेंआयुष क्वाथ, शेषमणि वटी, फिफ्थ्रोलोल टैबलेट और लक्ष्मीविलास रस का इस्तेमाल किया गया था। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद मरीज को होम क्वारंटाइन की सलाह दी गई थी। अध्ययन में कहा गया कि उल्लिखित इलाज योजना रोगसूचक राहत (बुखार, डिस्पेनिया, एनोरेक्सिया, थकान, एनोस्मिया और डिस्गेशिया) के साथ-साथ वायरल लोड के समाधान में प्रभावी थी। अध्ययन में कहा गया कि मरीज का आरटी-पीसीआर परीक्षण भी 16 तारीख को किया गया था, जो नेगेटिव था। एमिल फार्मास्यूटिकल द्वारा विकसित हर्बल दवा फिफ्तरोल संक्रमण, फ्लू और सर्दी से लड़ने में मदद करता है। इसमें गुडुची, संजीवनी घनवटी, दारुहरिद्रा, अपामार्ग, चिरायता, करंजा, कुटकी, तुलसी, गोदन्ती (भस्म), मृत्युंजय रस, त्रिभुवन कृति रस और संजीवनी वटी जैसे जड़ी-बूटियों को मजबूत करने वाली प्रतिरक्षा है। आयुष क्वाथ चार औषधीय जड़ी-बूटियों का एक संयोजन है जो आमतौर पर हर भारतीय रसोई में इस्तेमाल किया जाता है- तुलसी के पत्ते(तुलसी), दालचीनी की छाल (दालचीनी), ज़िंगबेर ऑफ़िसिनले (सोंथी), और क्रिस्ना मरिच (पाइपर नाइग्रम)।