भारतीय सैनिकों से टकराव के बाद चीन ने अपनाया आक्रामक रुख
Updated on
20-05-2020 06:34 PM
सीमा पर की बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती, हालात पर डोभाल की नजर
नई दिल्ली। अति महत्वाकांक्षी चीन के सैनिकों की सीमा पर बेजा हरकतों बंद होने का नाम नहीं ले रही हैं। लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए टकराव को भले ही स्थानीय स्तर पर सुलझा लिया गया लेकिन मामला पूरी तरह शांत नहीं हुआ है। चीन ने सीमा पर बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती कर दी है। बड़ी तादाद में मोटर बोट भी तैनात किए हैं। सूत्रों के मुताबिक हालात पर भारत के शीर्ष नेतृत्व की करीबी नजर है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और हर एक गतिविधियों की जानकारी ले रहे हैं।
भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच नोकझोक, टकराव आम बात है। सीमा पूरी तरह स्पष्ट नहीं है इसलिए पट्रोलिंग के दौरान जब भी दोनों देशों के सैनिकों का आमना-सामना होता है तो उनमें कभी हल्की तो कभी तीखी नोकझोक देखने को मिलती है। लेकिन इस बार का टकराव गंभीर रूप लेता जा रहा है। टकराव के बाद चीन ने अपनी ओर सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया है। चीन के सैनिक इस हफ्ते उसी क्षेत्र में सैन्य अभ्यास कर रहे थे। उस सैन्य अभ्यास में इस्तेमाल हो रहे भारी हथियारों, सैन्य साजो-सामानों को भी चीन ने बॉर्डर पर तैनात कर दिया है।
यह भी माना जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने पैंगोंग सो लेक के किनारे अपनी-अपनी पोजिशन भी ले ली है और मोटरबोट के जरिए आक्रामक गश्ती कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि भारतीय सेना ने जो अस्थायी ढांचा बना रखे थे, उन्हें भी नुकसान पहुंचाया गया है। गलवान में जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव हुआ, वहां चीन के सैनिक अब भी तैनात हैं। जवाब में भारत ने भी सैनिकों के जमावड़े को बढ़ा दिया है। जो रिपोर्ट्स आ रही हैं, उनके मुताबिक गलवान में टकराव वाली जगह के करीब 4 किलोमीटर के दायरे में चीन ने अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है। सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिकों का संभावित निशाना दरबुकशियोक-दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) रोड हो सकता है, जिसे भारत ने पिछले साल बनाया है। यह रोड सब सेक्टर नॉर्थ (एसएसएन) के लिए जीवन रेखा की तरह है। हालांकि, चीन को किसी भी तरह की हिमाकत से रोकने के लिए भारत ने भी पर्याप्त संख्या में सैनिकों की तैनाती की है। सूत्रों ने बताया कि जमीनी स्थिति 1962 से जुदा है, जब चीनी सेना ज्यादा तादाद की वजह से बहुत भारी पड़ी थी। गलवान एरिया में रोड और पुल बनने से चीनी पक्ष नाखुश है। भारतीय सुरक्षा बल पुल और रोड का इस्तेमाल पट्रोलिंग के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा इनसे स्थानीय आबादी का जीवन भी आसान हुआ है।
दोनों देशों के बीच विवाद को उच्च स्तर पर बातचीत के जरिए हल करने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, चीनी मीडिया की हालिया टिप्पणियां बताती हैं कि चीन आक्रामक रुख अपना रहा है। चीनी मीडिया के मुताबिक चीन इलाके पर अपनी ‘पकड़ मजबूत’ कर रहा है। ताजा स्थितियों पर भारतीय पक्ष ने विस्तार से कोई टिप्पणी नहीं की है बल्कि यही कहा है कि विवादित सीमा पर इस तरह के टकराव होते रहते हैं और इन्हें बातचीत के जरिए लोकल स्तर पर ही निपटा लिया जाता है। लद्दाख में टकराव के बाद दोनों देशों ने टकराव वाली जगह और आस-पास के इलाके में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है जो अब दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गया है। जिस जगह पर टकराव हुआ था, वहां पर चीन की तरफ से 80 से ज्यादा टेंट लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा चीन की तरफ से अस्थायी डिफेंसिव पोजिशन भी तैयार किए गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि चीन ने गलवान नदी के करीब री-इनफोर्समेंट भी तैयार कर रखा है।
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