हमारी प्रारंभिक संस्कृति में जीवन शैली को ज्यादा महत्व दिया गया था पर धीरे-धीरे हम अपनी प्राचीन जीवन शैली को भुलकर मॉडर्न जीवन शैली की ओर मुड़ गए। करण बड़ा स्पष्ट है कि हम जितना भौतिक विकास और ग्लैमर की ओर बढ़ते जाएंगे उतने ही हम अति व्यस्त हो जाएंगे पढ़ने में, लिखने में, पैसा कमाने में और आगे से आगे बढ़ने की होड मे हम व्यस्त हो जाते हैं नतीजन हम स्वयं पर ध्यान नहीं दे पाते जिससे कई प्रकार की बीमारियां हमारे आसपास फैल गई जिसके हम आये दिन शिकार होते हैं। पहले कि जिंदगी मेहनतकश थी तब इतने साधन नहीं थे जितने आजकल हमारे पास है इसी कारण हम इतने आलसी हो गए हैं कि घर से दूसरे मोहल्ले में जाने के लिए भी हमें गाड़ी की जरूरत पड़ती है। पहले कई किलोमीटर आदमी पैदल चलता था हर काम स्वयं करता था आजकल हर काम नोकर चाकर करते हैं। हमने शरीर को मट्ठा बना दिया नतीजन कई लोग तो एक दो मंजिल चढ़ाव भी नहीं चड पाते। घर बैठे सब सामान भी आने लग गया, टीवी, मोबाइल, गाने सुनने के भी सब साधन हो गए। जिंदगी में कुछ करने को बचा ही नहीं, घर की पुताई भी करना हो नौकर चाकर करते हैं। अधिकान्श नौकर चाकर पर निर्भर हो गए कई महिलाए घर की कामवाली बाई नहीं आती है तो वह बेचैन होती है। भौतिक और आर्थिक विकास में व्यस्त नहीं होकर हम अपनी स्वस्थता के पाए मजबूत करें तभी वास्तविक जिंदगी मे स्वस्थ रहेगे।
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
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छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…