श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा कि वह रोशनी भूमि योजना के तहत की गई सभी कार्रवाई को रद्द करेगा और छह महीने के अंदर सारी जमीन को फिर से हासिल करेगा। रोशनी भूमि योजना में कथित घोटाले की जांच जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की ओर से सीबीआई को सौंपे जाने के तीन सप्ताह बाद प्रशासन ने यह बात कही है। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने नौ अक्टूबर को योजना में कथित अनियमित्ताओं को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया था और जांच एजेंसी को हर आठ सप्ताह में प्रोग्रेस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश भी दिया था। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाईकोर्ट का आदेश लागू करने का निर्णय लिया है जिसमें अदालत ने समय-समय पर संशोधित किए गए जम्मू एवं कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) कानून, 2001 को असंवैधानिक, कानून के विपरीत और अस्थिर करार दिया था। माना जाता है कि रोशनी योजना के नाम से पहचाना जाने वाला यह कानून एक क्रांतिकारी कदम था और इसका दोहरा उद्देश्य था। रोशनी ऐक्ट के तहत तत्कालीन राज्य सरकार का लक्ष्य 20 लाख कनाल सरकारी जमीन अवैध कब्जेदारों के हाथों में सौंपना था, जिसकी एवज में सरकार बाजार भाव से पैसे लेकर 25,000 करोड़ रुपये की कमाई करती। जानकारी के मुताबिक, रोशनी ऐक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था। इसके बदले उनसे एक निश्चित रकम ली जाती थी, जो सरकार की ओर से तय की जाती थी। साल 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने जब यह कानून लागू किया तब सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए 1990 को कट ऑफ वर्ष निर्धारित किया गया था। लेकिन, समय के साथ जम्मू-कश्मीर की आने वाली सभी सरकारों ने इस कट ऑफ साल को बदलना शुरू कर दिया। इसके चलते राज्य में सरकारी जमीन की चहेतों को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई गई है। रोशनी ऐक्ट को 28 नवंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन गवर्नर सत्यपाल मलिक ने खत्म कर दिया था। जानकारी के मुताबिक, रोशनी ऐक्ट के खात्मे के बाद अब नए आदेश के तहत राजस्व विभाग एक जनवरी 2001 के आधार पर सरकारी जमीन का ब्योरा एकत्र कर उसे वेबसाइट पर दर्ज करेगा। इसके अलावा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों के नाम भी सार्वजनिक किए जाएंगे। इसमें रोशनी एक्ट के तहत आवेदन प्राप्त होने, जमीन का मूल्यांकन, लाभार्थी की ओर से जमा धनराशि, एक्ट के तहत पारित आदेश का भी ब्योरा देना होगा। दरअसल जम्मू-कश्मीर सरकार ने ऐसी व्यवस्था बनाई थी कि जिसके कब्जे में सरकारी जमीन है वह योजना के तहत आवेदन कर सकता है। लेकिन इसके उलट इससे सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और भी ज्यादा हुआ। नवंबर 2006 में सरकार के अनुमान के मुताबिक 20 लाख कैनाल से भी ज्यादा भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा था।