नई दिल्ली । पटना हाईकोर्ट ने गोपालगंज के डीसीएलआर के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें 30 राजस्व कर्मचारियों पर आर्थिक दंड लगा दिया गया था। साथ ही अदालत ने उन कर्मियों के वेतन रोकने के आदेश को भी निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने राजस्व कर्मचारियों की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। इसके पूर्व कोर्ट को बताया गया कि डीसीएलआर ने स्वत कार्रवाई करते हुए तीन ब्लॉक के 30 राजस्व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की। उनका कहना था कि सूबे के मुखिया को खुश करने के लिए डिप्टी कलेक्टर ने ऐसा कार्य किया, जिसे करने का अधिकार उन्हें है ही नहीं। डिप्टी कलेक्टर ने 6 कर्मचारियों पर 3 लाख 45 हजार, 13 कर्मचारियों पर 10 लाख 50 हजार और 19 कर्मचारियों पर 9 लाख 66 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया था। यही नहीं कर्मियों के वेतन उठाव पर भी रोक लगा दी थी। सेवा के अधिकार कानून के तहत जो काम अंचलाधिकारी को करना था, वह काम राजस्व कर्मचारियों से लिया जा रहा था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कानून के अनुसार, राज्य सरकार ने प्रत्येक ब्लॉक में अंचलाधिकारी को दाखिल-खारिज करने को अधिकृत किया गया है। उन्हें ही जरूरतमंद लोगों को दाखिल-खारिज करने तथा संबंधित कागजात देने को अधिकृत किया गया है। निर्धारित समय के अंदर अंचलाधिकारी को कागजात देना था। लेकिन डीसीएलआर ने इसका दोषी राजस्व कर्मचारियों को मान कार्रवाई कर दी। इतना ही नहीं डीसीएलआर ने कर्मचारियों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू कर दी और गत वर्ष दिसंबर से 30 कर्मचारियों का वेतन भी रोक दिया। जबकि ये सभी कर्मचारी कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे रहे। लेकिन इन्हें वेतन नहीं दिया गया। कोर्ट ने तीन ब्लॉक के 30 राजस्व कर्मचारियों के खिलाफ लगाये गए आर्थिक दंड आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही वेतन रोक आदेश को समाप्त कर डीसीएलआर पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया। कोर्ट ने जुर्माने की राशि पटना हाईकोर्ट लीगल ऐड कमेटी में आठ सप्ताह के भीतर जमा करने का आदेश दिया।