आरती की थाली सजाऊ, रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक लगाऊं
Updated on
27-08-2021 12:06 PM
बहन रोती रही,भाई नहीं आया, चिल्लाती रही,बुलाती रही पर भाई नहीं आया,ऐसा क्या हो गया जो भाई बहन की एक आवाज़ पर दौड़ा दौड़ा चला आता था, आज नहीं आया,बहन की आँखों में आँसू देख कर भाई उदास हो जाता था,आज बहन आँसू बहा रही थी पर भाई नहीं आया। दरवाज़े पर ज़रा सी आहट होती थी,भाई दौड़ता हुआ दरवाज़े पर खड़ा हो जाता था,उसको लगता था शायद उसकी बहन उससे मिलने के लिए आई है,पर आज क्या हो गया भाई क्यों नहीं आया !
रक्षाबंधन का दिन बहन के हाथों सजी हुई थाली,जिसमें रखी थी सुंदर सी राखी,रोली,श्रीफल, रुमाल, मिठाई और ढेर सारा भाई के लिए प्यार,साथ में भाई से मिलने का इंतजार,पर अफसोस भाई नहीं आया।बहने चिल्लाती रही,बुलाती रही,पुकारती रही,ऐसा क्या हुआ जो भाई नहीं आया। इस बार रक्षाबंधन पर बहन यह सोच कर भैया के घर आई थी की इस बार भैया से महंगे उपहार के लिए खूब लड़ेगी,राखी तब तक नहीं बांधेगी जब तक भैया उसको मन चाहा उपहार नहीं देंगे और भैया से यह वचन लेगी जीवन भर उसके सुख दुख में भैया साथ देगा ।
माता पिता की मृत्यु के बाद बहन का सहारा केवल भाई था,जब भी बहन अपने ससुराल से मायके आती थी,बहन को इस बात का कभी एहसास नहीं हुआ के उसके माता पिता अब इस दुनिया में नहीं है,भाई ने पिता का फर्ज निभाया माँ की ममता दी और भाई का फ़र्ज़ हमेशा निभाया,पर आज क्या हो गया,बहन रोती रही भाई को पुकारती रही पर भाई नहीं आया, भाई आता भी तो कैसे आता,भाई हमेशा हमेशा के लिए बहुत दूर चला गया जहां से लौटकर कोई नहीं आता।
चिता पर लेटा हुआ,कफन ओढ़ा हुआ, कफन से बाहर हाथ निकला हुआ, यह सब दृश्य देखकर बहन का कलेजा फट गया,वह रोती रही आँखों से आँसू बहते रहे,चेहरे से कफन हटा कर भाई को निहारती रही,वहां पर खड़े लोग बहन का प्यार भाई के लिए देखते रहे, बहन को देखकर लोग रोते रहे यह कैसा रक्षाबंधन का त्यौहार था, जिस दिन सुबह से भाई तैयार होकर राखी बंधवाने के लिए बहनों का इंतजार करते हैं,पर रक्षाबंधन के ही दिन एक बहन ने अपने भाई जो पिता का फर्ज़ निभाता था,माँ की ममता लुटाता था,उस भाई को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया । बहन ने मृत भाई के कलाई पर राखी बांधी और भाई का हाथ पकड़कर अपने सिर पर रखा,यह सब दृश्य देखकर वहां पर खड़े सभी लोगों के आँखों से आँसुओ के सैलाब आ गए I
यह घटना तेलगांना के नलगोंडा की हैं एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है,जहां बहन ने रक्षा बंधन के दिन अपने मरे हुए भाई को राखी बांधी चिंतापल्ली लक्ष्मैया की बहन उनके घर रक्षा बंधन का त्यौहार मनाने आई थीं । अगले दिन रक्षा बंधन की सुबह चिंतापल्ली की तबियत अचानक खराब हो गई और वो ज़मीन पर गिर पड़े । इसके बाद उनकी मौत हो गई,चिंतापल्ली की उम्र 59 साल थी I
हर बहन के लिए उसका भाई पिता तुल्य होता हैं,भाई छोटा हो या बड़ा,बहन को अति प्रिय होता हैं,भाई -बहन बचपन में खूब लड़ते झगड़ते हैं और आपस में एक दूसरे से कभी -कभी नाराज़ हो जाते हैं,लेकिन फिर भी बहन भाई एक दूसरे के पूरक होते हैं, यह संदेश उन भाई बहनों के लिए है जो भाई अपनी बहनों से रूठ गए हैं या जो बहने अपने भाइयों से रूठ गई है, सब गिले-शिकवे भूलकर भाई अपनी बहनों से खूब स्नेह करें उनके सुख दुख में साथ खड़े रहे,बहनें अपने भाइयों का खूब ख्याल रखें,उनके सुख दुख में भी साथ खड़ी रहें । जिंदगी बहुत छोटी है,कब किस का बुलावा आ जाए,क्योंकि कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं,जिनकी आवाज़ नहीं होती,कुछ सुख ऐसे भी होते है,जिनकी खुशी नहीं होती।
आँखों में आँसू मेरे होते,
मायूस तुम नजर आते,
भाई याद तुम
बहुत आते हो।।
मोहम्मद जावेद खान, संपादक ये लेखक के अपने विचार है I
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