ईश्वर ने मानव शरीर की रचना इस प्रकार की है जिसमें कई खूबियां है और सर्वोपरि खूबी यह है कि हमारा शरीर अपने स्वयं का इलाज करने में सक्षम है। इस ज्ञान की जानकारी हमें बचपन से ही नहीं मिलती है और जैसे जैसे हम बड़े होते हैं तो शारीरिक रचना के इस ज्ञान के बारे में बिल्कुल माहिती नहीं होती है नतीजन शरीर सौष्ठव से दूर, हम आलसी होकर अस्वस्थ हो जाते हैं। भौतिकवाद, उच्च शिक्षा, उच्च नौकरी या उच्च व्यापार के फेर में पडकर हम तनावग्रस्त हो जाते हैं। मानव शरीर एक खूबसूरत मशीन है और इसका बहुत ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। जिस तरह मशीन मेंटेनेंस मांगती हैं उसी तरह शरीर का मेंटेनेंस शरीर के सभी पार्ट को एक्टिव रखना होता है। उसके लिए हमें खूब एक्सरसाइज, मेहनत करना होगी, शरीर एक्टिव रहेगा तो उसमें स्वयं इतनी क्षमता है कि वह किसी भी प्रकार के वायरल बीमारी बैक्टीरिया को मार सकता है। उदाहरण के लिए जिन्हें हाई शुगर है वह अपनी शुगर नापले और उसके बाद तीन-चार किलोमीटर पैदल चलें और फिर अपनी शुगर नापे उनका शुगर लेवल गिर जाएगा। इसी प्रकार गले की बीमारी हो तो गर्दन की एक्सरसाइज करें। कहने का मतलब है कि आपको फिजिकल मेहनत बहुत करना है कई महिलाएं कहती है घर में काम कर लेती हूं तो यह मेहनत से आपका शरीर मेंटेन नहीं होता है शरीर मेंटल करने के लिए पसीना आने वाली मेहनत होना चाहिए।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने विचार है)
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