दुनिया में जहा जहा भी दो देशों के बीच की सीमा रेखा है वहां जवानों की तैनाती इसलिए होती है कि कोई भी सीमा रेखा के पार कर एक दूसरे के देश में प्रवेश न कर सके। भारत-पाकिस्तान दोनों देशों के बीच ऐसी भी सीमा रेखा है जहां दोनों देश की फौज के जवान आपस में खाना-पीना कर रहे हैं खेल रहे हैं और सीमा पर घुसपैठियों से अपने अपने देशों की रक्षा भी कर रहे हैं उनके पास ना कोई बंदूक ना कोई कुछ। वे सतत निगरानी भी रख रहे हैं उनका मकसद आपस में लड़ना नहीं बल्कि अपने अपने देश को घुसपैठियों से बचाना है। वे यह भी ध्यान रख रहे कि अपनी सीमा में से कोई घुसपैठिया पड़ोसी देश की सीमा में ना जाए। ऐसा होने से अपनी अपनी सरकार का अरबो रूपया रक्षा बजट के नाम से बच जाता है और यह रूपया जनता के वेलफेयर में काम आता है और यहीं नहीं बल्कि नेपाल, भूटान, चीन और बांग्लादेश आसपास के और सभी देशों की सीमा रेखा पर भी यही स्थिति है सभी देशों का अरबों रुपया बचा हुआ है यहा कई मौतें युद्ध में जो होती है वह भी नहीं हो रही है, कोई फायरिंग नहीं कोई बमबारडिंग नहीं कोई जान माल का नुकसान नहीं। काश है भगवान यह मेरा सपना कभी ना टूटे। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)
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वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…