प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर रविवार को रात नौ बजे से नै मिनट के लिए देश भर में घरों के बल्ब और ट्यूबलाइट बंद होने से बिजली ग्रिड पर कोई असर नहीं पड़ा। सरकार और बिजली कंपनियों के मांग में अचानक से कमी और फिर बढ़ोतरी की स्थिति से निपटने के लिये तैयार की गयी विस्तृत कार्य योजना से कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार (3 अप्रैल) को कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान के तहत देश के नाम अपने संदेश में 'अंधकार' को चुनौती के रूप मे रविवार (5 अप्रैल) को रात नौ बजे नौ मिनट तक बिजली बंद करने और दीया, टॉर्च या मोबाइल से रोशनी करने की अपील की थी।
बिजली मंत्री आर के सिंह ने पीटीआई भाषा से कहा, ''बिजली आपूर्ति में कमी (रैंप डाउन) और फिर बढ़ोतरी (रैंप अप) का काम बहुत सुचारु रूप से चला। उन्होंने (अधिकारियों) ने अच्छे तरीके से इसका प्रबंध किया। मैं और मेरे साथ वरिष्ठ अधिकारी...बिजली सचिव और पोस्को सीएमडी...नेश्नल मॉनिटरिंग सेंटर से व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नजर रखे हुए थे। मैं एनएलडीसी (नेश्नल लोड डिस्पैच सेंटर), आरएलडीसी (रिजनल लोड डिस्पैच सेंटर) और एसएलडीसी (स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर) के सभी इंजीनियरों को स्थिति से बखूबी निपटने को लेकर बधाई देता हूं...।"
मंत्री के अनुसार करीब चार-पांच मिनट के दौरान बिजली खपत 1,17,000 मेगावाट से कम होकर 85,300 मेगावाट रही। यह संभावित 12,0000 मेगावाट की कमी से कहीं अधिक थी। मंत्रालय के अनुसार लाइट बंद होने के बाद मांग में कमी के पश्चात 110 मेगावाट की बढ़ोतरी (रैंप अप) सुचारू रही। कहीं से भी बिजली में गड़बड़ी या बंद होने की घटना नहीं हुई। उन्होंने बिजली उत्पादन कंपनियों एनटीपीसी और एनएचपीसी की सराहना की।
सिंह ने कहा कि पनबिजली क्षेत्र से अच्छा योगदान मिला। ऐसी आशंका जताई गई थी कि प्रधानमंत्री की अपील पर रात नौ बजे से नौ मिनट तक घरों में बल्ब, ट्यूबलाइट बंद होने से बिजल ग्रिड पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और बिजली व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। हालांकि मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा कि था कि देश की ग्रिड व्यवस्था मजबूत है और इस प्रकार की आशंकाएं निराधार हैं।