भोपाल । अदालत सार्वजनिक स्थल पर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे सकती, न ही ऐसे विरोध प्रदर्शन को अनुमति देने के लिए कोई आदेश जारी कर सकती है। यह तल्ख टिप्पणी की है मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने। मप्र हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने कहा कि यह शांति- व्यवस्था से जुड़ा मामला है, जिस पर निर्णय लेना जिला प्रशासन का काम है। लिहाजा, कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। इस मत के साथ कोर्ट ने सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए मुस्लिम लीग जबलपुर की याचिका ठुकरा दी। तकी रजा कंपाउंड, राइट टाउन जबलपुर निवासी इंडियन मुस्लिम लीग, जबलपुर के जावेद खान की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि उन्होंने 27 जनवरी व इसके बाद 1 फरवरी को जबलपुर कलेक्टर को आवेदन देकर केंद्र सरकार के बिल सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी। लेकिन कलेक्टर ने उक्त आवेदनों पर विचार नहीं किया। लिहाजा, कलेक्टर को आवेदनों पर विचार कर इनका निराकरण करने का निर्देश दिया जाए। कोर्ट से भी शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी गई।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता घुंचा रसूल ने कोर्ट को बताया कि 26 जनवरी 2020 को निकाली जा रही तिरंगा यात्रा के दौरान हुए विवाद के बाद पुलिस ने निर्दोष लोगों पर लाठीचार्ज किया। इस घटना का भी याचिकाकर्ता संघ विरोध करना चाहता है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता संघ मंडी मदार टेकरी क्षेत्र में यह शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करना चाहता है, जो कि सार्वजनिक स्थल नहीं है। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि न तो कोर्ट प्रशासन को ऐसे किसी शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन का अभ्यावेदन निराकरण करने का निर्देश दे सकती और न ही इस तरह के विरोध प्रदर्शन की अनुमति दे सकती।