भोपाल । बुंदेलखंड क्षेत्र की बदहाली दूर करने के लिए जारी किए गए 7,400 करोड़ के राहत पैकेज घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ा रहा है घोटाले के अजीबो-गरीब मामले सामने आ रहे हैं। पैकेज के तहत कराए गए कार्यों वाउचर के परीक्षण में पता चला है कि किस तरह नियम कायदों को ताक पर रख कर काम कराया गया है। कागजों में कुएं खोदे गए हैं तो समतल पथरीली जमीन पर तालाब। सिर्फ इतना ही नहीं, स्कूटर और मोटरसाइकिल पर 5-5 टन के पत्थर ढोकर भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड बनाया गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने मप्र और उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र के 13 जिलों में विकास कार्यों के लिए 7,400 करोड़ से अधिक का पैकेज दिया था। इनमें 3860 करोड़ रुपये मध्य प्रदेश और 3,500 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश के लिए दिए गए थे। मप्र को मिले 3,800 करोड़ से पांच जिलों में विकास कार्य कराना था, लेकिन विभागीय अफसरों ने सांठ-गांठ कर पूरे पैकेज को स्वाहा कर दिया।
-2,200 करोड़ के कार्य घोटाले के शिकार
मप्र के बुंदेलखंड को केंद्र से विशेष पैकेज के रूप में 3,860 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें से चार साल में दतिया समेत सागर संभाग को 3,226 करोड़ रुपए मिले। राज्य सरकार ने विधानसभा में जो जानकारी दी उसके मुताबिक राशि में से 2,800 करोड़ रुपए विभिन्न विभागों द्वारा बतौर एजेंसी व्यय किए गए। लेकिन स्थलीय निरीक्षण में कार्यों व खरीदी गई सामग्री की गुणवत्ता, मजदूरी के भुगतान में हुई गड़बडिय़ों का आंकलन किया गया और पाया कि करीब 2200 करोड़ की धनराशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।
-बांध और तालाबों में घटिया सामग्री
पैकेज से सबसे ज्यादा राशि 1340 करोड़ रुपए जल संसाधन विभाग को मिले थे। इस राशि से उन्हें 6 जिलों में नहर निर्माण और सिंचाई परियोजनाओं के लिए खर्च करने थे। जांच की गई तो सामने आया कि विभाग द्वारा बनवाए गए ज्यादातर बांध और तालाबों में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा वन विभाग को चेकडेम के लिए 180 करोड़ रुपए दिए थे।
-अब गायब हो गए हैं तालाब
वन विभाग द्वारा कोर एरिया में बनाए गए तालाब खोदे ही नहीं गए। हाईकोई के निर्देश पर जब टीम जांच करने निकली तो वह वन विभाग द्वारा खोदे गए कई तालाबों को जमीन पर नहीं ढ़ूंढ़ पाई। इसी तरह पीएचई में 300 में से 100 करोड़ रुपए में गड़बड़ी मिली। कृषि विभाग के तहत 614 करोड़ से डीजल पंप वितरण,मंडी का निर्माण, वेयर हाउस आदि के कामों में भी शिकायतें मिली। ग्रामीण विकास विभाग के 209 करोड़ रुपए के काम ग्राउंड पर दिखाई ही नहीं दिए।
निजी कंपनियों से कराया सरकारी काम
बुंदेलखंड के पन्ना जिले में 9 वाटर शेड के कार्यों के भौतिक सत्यापन और वाउचर के परीक्षण में यह बात साबित हो गई कि वन विभाग ने निर्माण कार्यों में सभी नियम कायदों को ताक पर रख दिया। अनियमितता इस कदर बरती गई कि जांच अधिकारियों ने रिपोर्ट में यह तक दावा कर दिया कि बुंदेलखंड पैकेज के कार्य शासकीय विभाग के अनुसार ना करते हुए किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह निपटाई गई। फर्जी वाउचर द्वारा भुगतान करने की कोई भी सीमा ही नहीं रखी गई। इसके उदाहरण देते हुए जांच अधिकारी रिपोर्ट में कहते हैं कि कार्यों के दौरान लगभग 48 वाहनों का उपयोग दर्शाया गया। इसके बाद जांच अधिकारियों ने एमपी आरटीओ की वेबसाइट से इन वाहनों की पड़ताल की तो वह हैरान रह गए। रिकॉर्ड के अनुसार 6 वाटर शेड में ही 25 वाहनों का रजिस्ट्रेशन होना नहीं पाया गया। 23 वाहन में से अधिकांश वाहन ऐसे हैं, जो कि वाउचर में दर्शाए गए प्रकार से एकदम भिन्न हैं। जैसे कि वाउचर के अनुसार ट्रैक्टर एवं जेसीबी दर्शाए गए हैं, लेकिन आरटीओ रजिस्ट्रेशन के अनुसार यह वाहन मोटरसाइकिल, स्कूटर, स्कूटी, पेप ऑटो रिक्शा और इंडिगो टैक्सी के नाम पर दर्शाए गए हैं। यानि कि यह साफ हो रहा था कि 5-5 टन के पत्थर जिन वाहनों पर ढोए गए हैं वह कोई हैवी वाहन नहीं बल्कि स्कूटर और बाइक जैसे दो पहिया वाहन ही हैं।
इनका कहना है
-बुंदेलखंड पैकेज में हुए घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू ने शुरू कर दी है। अब इतना तो साफ है कि जांच में बुन्देलखण्ड पैकेज की दबी फाइलें भी निकलेंगीं और उन अधिकारियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा जिन्होंने पैकेज के कार्यों में गंभीर अनियमितताएं बरतीं।
शोभा ओझा, अध्यक्ष, मप्र कांग्रेस मीडिया प्रभारी
-किसी भी घोटाले में अधिकारियों की इतनी बेफिक्री कभी नहीं देखी। सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज के सभी दस्तावेज तलब कर इसकी जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी है। ईओडव्ल्यू द्वारा पैकेज में हुए घोटाले की फाइल दोबारा खोलकर एक बार फिर गड़बड़ी के आरोपों से घिरे अफसरों की नींद उड़ा दी है।