भोपाल। केंद्र के उपेक्षापूर्ण रवैए और केंद्रीय करों में कटौती के कारण मप्र का बजट चुनौतियों भरा रहेगा। लेकिन चुनौतियों के बीच मप्र सरकार का वर्ष 2020-21 का बजट प्रदेश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ इस बजट को लेकर काफी संजीदा है और उनका साफ तौर पर मानना है कि इस बजट के माध्यम से आंकड़ों की बाजीगरी से परे विकास अब हकीकत में दिखना चाहिए। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में वित्त विभाग बजट का खाका तैयार कर रहा है। इस दौरान अफसरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश को वित्तीय बदहाली से उभारना और सीमित राजस्व संसाधनों के बल पर आगे की कार्ययोजना बनाना है। मौजूदा बजट दो लाख 33 हजार करोड़ रुपए का है, जो पुनरीक्षित होकर 25 हजार करोड़ रुपए तक घट सकता है।
कमलनाथ सरकार का दूसरा बजट 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम सप्ताह में पेश किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार बजट का फोकस इस बार कांग्रेस के वचन पत्र और विजन टू डिलीवरी रोडमैप 2025 पर रहेगा। कर्जमाफी, किसानों को राहत, बेरोजगार युवा, शहरी विकास, कर्मचारी कल्याण, अधोसंरचना विकास पर फोकस किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस पर बड़ी राशि का प्रावधान किया जा सकता है। कर्मचारी कल्याण, अधोसंरचना और पर्यटन विकास के लिए भी विभागों को बड़ी राशि दी जाएगी।
बढ़ रही है केंद्र की कटौतियां
एक ओर पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में केन्द्र से राज्य को जीएसटी से 55,500 करोड़ रूपए का हिस्सा मिला था जो इस साल घटकर 49 हजार करोड़ रूपए रह गया है। राज्य को उम्मीद थी कि इस बार केंद्र से प्रदेश को उसके अंश का 61500 करोड़ रूपया मिलेगा लेकिन केंद्र्र ने इस राशि में कटौती कर प्रदेश की वित्तीय हालत को और खराब कर दिया है। केंद्रीय करों में 14 हजार 233 करोड़ रुपए की कटौती और अतिवर्षा व बाढ़ से खजाने पर पड़े साढ़े छह हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त वित्तीय भार का असर भी बजट पर नजर आएगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2020-21 में भी केंद्र सरकार से अधिक मदद मिलने के आसार नहीं है।
कर्जमाफी के लिए चाहिए साढ़े सात हजार करोड़
सूत्रों का कहना है कि किसानों की कर्जमाफी के तीसरे और अंतिम चरण के लिए कृषि विभाग को लगभग साढ़े सात करोड़ रुपए की जरूरत होगी। यदि अप्रैल से इसे शुरू करना है तो बजट में प्रावधान करना होगा। इसी तरह किसानों को अतिवर्षा और बाढ़ से हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए भी राशि देनी होगी। बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने का कांग्रेस ने वचन पत्र में वादा किया था। इसके लिए युवा स्वाभिमान योजना लागू की थी, लेकिन अपेक्षित नतीजे नहीं आए। अब इसे नए सिरे से लागू करने की तैयारी है। वहीं, नगरीय विकास के 40 हजार संविदा कर्मचारियों को नियमित करने सहित अन्य कर्मचारियों की सेवाओं को जारी रखने, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की देनदारी अदा करने, महंगाई भत्ता बढ़ाने, अतिथि विद्वानों को फिर से सेवा में रखने, शहरों में ओवरब्रिज, सड़क, पुल-पुलिया, सिंचाई परियोजना का निर्माण आदि के लिए बजट प्रावधान किए जाएंगे। औद्योगिक केंद्र और पर्यटन क्षेत्रों के विकास पर सरकार का जोर है, इसके लिए अधिक बजट रखा जा सकता है।
मितव्ययिता पर जोर
सूत्रों के मुताबिक बजट को लेकर वित्त विभाग काफी हद तक अपनी तैयारियां कर चुका है। अपर मुख्य सचिव अनुराग जैन और प्रमुख सचिव मनोज गोविल की टीम विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें करके प्रस्तावों को अंतिम रूप देने में जुटी है। इसमें पूरा जोर मितव्ययिता पर दिया जा रहा है। साथ ही उन योजनाओं को आपस में मिलाने पर भी काम चल रहा है जो एक समान प्रकृति की हैं। पिछले साल भी ऐसी करीब डेढ़ सौ योजनाओं को आपस में मिलाया गया था। इसके अलावा वचन पत्र के मुद्दों को भी प्राथमिकता से देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ऐसी योजनाओं को बंद करने के निर्देश दिए हैं, जिनमें हितग्राहियों की संख्या कम है या वे अपना उद्देश्य पूरा कर चुकी हैं। बजट को वचन पत्र और दृष्टिपत्र ध्यान में रखते हुए तैयार करने के लिए कहा है। इसके मद्देनजर वित्त विभाग की पहल पर सामान्य प्रशासन विभाग ने अपर मुख्य सचिवों के नेतृत्व में चार समूह बनाए हैं जो विभिन्न योजनाओं का आकलन करके उन्हें जारी रखने, बंद करने या दूसरी योजनाओं में मिलाने को लेकर सुझाव देंगे। इसके आधार पर विभाग के प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
सरकार की प्राथमिकताएं
- कमलनाथ प्रत्येक काम को प्रोजेक्ट मोड में करवाने के प्लान में हैं
- प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिए समय सीमा निर्धारित कर बजट का आवंटन करेंगे
- बजट में रोडमैप के हिसाब से प्राथमिकताएं तय की जाएंगी
- कर्जमाफी योजना को पूरा करने के लिए लक्ष्य सरकार 2020-21 में रखेगी
- कृषि और सहकारिता विभाग कर्जमाफी का तीसरा चरण इसी बजट के दौरान शुरू करेगी
- नगरीय और पंचायत चुनाव होने वाले हैं इनके लिए भी सरकार बजट का प्रावधान रखेगी
- मेट्रो परियोजना और मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए भी बजट का निर्धारण होगा
- सरकार कर्मचारियों के लिए तथा पेंशनर के लिए भी महगाई भत्ता का ध्यान रखना चाहेगी