नक्षत्र - भरणी 29 नवम्बर प्रातः 03:19 तक तत्पश्चात कृत्तिका
योग - वरीयान् सुबह 09:23 तक तत्पश्चात परिघ
राहुकाल - सुबह 09:42 से सुबह 11:04
सूर्योदय - 06:58
सूर्यास्त - 17:54
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण - वैकुंठ चतुर्दशी (उपवास)
विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
पौष्टिक नाश्ता
चना,मूँग, मोठ एक कटोरी में भिगोकर रखे । एक मुट्ठी मूँगफली व एक चम्मच तिल (काले हो तो उत्तम) रात को पानी में भिगो दे । सुबह नमक मिला के उबाल लें । इसमें हरा धनिया, पालक व पत्तागोभी काट के तथा चुकंदर, मुली एवं गाजर कद्दुकश करके मिला दे । ऊपर से काली मिर्च बुरक के नींबू निचोड़ दे । चार व्यक्तियों के लिए नाश्ता तैयार है । इसे खूब चबा-चबाकर खाये । यह नाश्ता सभी प्रकार के खनिज-द्रव्यों, प्रोटीन्स, विटामिन्स व आवश्यक कैलरीज की पूर्ति करता है । जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है व जिनकी पाचनशक्ति कमजोर है, उनको नाश्ता नहीं करना चाहिए ।
त्रिपुरारी पूर्णिमा
29 नवम्बर 2020 रविवार को त्रिपुरारी पूर्णिमा हैं । धर्म ग्रंथों के अनुसार,इसी दिन भगवान शिव ने असुरों के तीन नगर(त्रिपुर)का नाश किया था। इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। चूंकि त्रिपुरारी पूर्णिमा भगवान शिव से संबंधित है इसलिए इस बार ये शुभ योग आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं तो हर परेशानी दूर हो सकती है। आपकी परेशानियां दूर कर सकते हैं ये उपाय
1⃣ यदि विवाह में अड़चन आ रही है तो पूर्णिमा को शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाएं । जल्दी ही विवाह के योग बन सकते हैं ।
2⃣ मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं । इस दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहें । यह धन प्राप्ति का सरल उपाय है ।
3⃣ पूर्णिमा को 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं । इससे आपकी इच्छाएं पूरी हो सकती है ।
4⃣ पूर्णिमा को नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं । इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और परेशानियों का अंत होगा ।
5⃣ गरीबों को भोजन करवाएं ।इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी ।
6⃣ पानी में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें व ॐ नम: शिवाय का जप करें । इससे मन को शांति मिलेगी ।
7⃣ घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें व रोज उसकी पूजा करें । इससे आपकी आमदनी बढ़ाने के योग बनते हैं ।
8⃣ पूर्णिमा को आटे से 11 शिवलिंग बनाएं व 11 बार इनका जलाभिषेक करें । इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं ।
9⃣ शिवलिंग का 101 बार जलाभिषेक करें । साथ ही महा मृत्युंजय *ॐ हौं जूँ सः । ॐ भूर्भुवः स्वः । ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मृक्षीय मामृतात् । ॐ स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूँ हौं ॐ । मंत्र का जप करते रहें । इससे बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है ।
पूर्णिमा को भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं । तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है ।
कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक महीने के 15 वें चंद्र दिवस पर मनाई जाती है, आमतौर पर ये नवंबर के आसपास आती है. कार्तिक पूर्णिमा सिखों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि इस दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती भी होती है. कार्तिक पूर्णिमा को कई नामों से जाना जाता है जैसे त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा या देव-दीवाली या देव-दीपावली, देवताओं के प्रकाश का त्योहार आदि. कार्तिक पूर्णिमा को कार्तिक के पवित्र महीने के अंत में मनाया जाता है. यही कारण है कि कई भक्तों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर 2020 को मनाई जाएगी, कार्तिक पूर्णिमा इस साल चंद्रग्रहण या चंद्रग्रहण के साथ है.
कार्तिक पूर्णिमा पूजा तिथिः कार्तिक पूर्णिमा सोमवार, 30 नवंबर, 2020 पूर्णिमा तीर्थ से शुरू होती है- 29 नवंबर, (2020) 12:47 से पूर्णिमा तीथि समाप्त- 30 नवंबर, (2020) 02:59 को
जानें कार्तिक पूर्णिमा का क्या है महत्व और क्यों मनाते हैंः कार्तिक पूर्णिमा भारत के सबसे पुराने और प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. भक्त अक्सर स्नान करने के लिए पवित्र गंगा जैसी नदियों के तट पर जाते हैं, जिसे 'कार्तिक स्नान' भी कहा जाता है. वे अपनी प्रार्थनाओं और उपवासों का पालन करने के लिए मंदिरों में भी जाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को लेकर कई तर्क हैं. कुछ का कहना है कि यह भगवान शिव के योद्धा पुत्र कार्तिक की जयंती है, जबकि कुछ का कहना है कि यह वह दिन है जब भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार 'मत्स्य' लिया था. इन तर्कों के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन पराक्रमी दानव त्रिपुरासुर को हराया था, इसलिए कई लोगों द्वारा इस त्योहार को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर भव्य पुष्कर मेला संपन्न होता है. मेला प्रबोधिनी एकादशी पर शुरू होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा से एक सप्ताह पहले बाद आता है. कार्तिक पूर्णिमा को तुलसी विवाह करने का अंतिम दिन भी कहा जाता है. कार्तिक पूर्णिमा का व्रत बिना प्याज और लहसुन के साथ, फल, दूध और हल्के सात्विक भोजन के साथ किया जाता है. यदि आप बूढ़े, बीमार या गर्भवती हैं, तो आपको यह 'निर्जला' व्रत करने की सलाह नहीं दी जाती. अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. viz news इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.