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दिनांक 25 नवम्बर 2020

Updated on 25-11-2020 11:51 AM
 *दिन - बुधवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2077*
⛅ *शक संवत - 1942*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - हेमंत*
⛅ *मास - कार्तिक*
⛅ *पक्ष - शुक्ल* 
⛅ *तिथि - एकादशी 26 नवम्बर प्रातः 05:10 तक तत्पश्चात द्वादशी*
⛅ *नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद शाम 06:21 तक तत्पश्चात रेवती*
⛅ *योग - सिद्धि पूर्ण रात्रि तक*
⛅ *राहुकाल - दोपहर 12:26 से दोपहर 01:48 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:56* 
⛅ *सूर्यास्त - 17:54* 
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (स्मार्त), भीष्मपंचक व्रत प्रारंभ*
 💥 *विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते है
*देवउठी एकादशी के दिन* 🌷
➡ *25 नवम्बर 2020 बुधवार को रात्रि 02:43 से 26 नवम्बर, गुरुवार को प्रातः 05:10 तक एकादशी है ।*
💥 *विशेष ~ 25 नवम्बर 2020 बुधवार को देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (स्मार्त) एवं 26 नवम्बर, गुरुवार को देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (भागवत)*
💥 *विशेष ~ 26 नवम्बर, गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
🙏🏻 *निर्णयसिन्धु के प्रथम परिच्छेद में एकादशी के निर्णय में 18 भेद कहे गये हैं ।*
🙏🏻 *कालहेमाद्रि में मार्कण्डेयजी ने कहा है – जब बहुत वाक्य के विरोध से यदि संदेह हो जाय तो एकादशी का उपवास द्वादशी को ग्रहण करे और त्रयोदशी में पारणा करे ।*
🙏🏻 *पद्म पुराण में आता है की एकादशी व्रत के निर्णय में सब विवादों में द्वादशी को उपवास तथा त्रयोदशी में पारणा करे ।*
💥 *विशेष ~ अतः इस बार भी शास्त्र अनुसार 26 नवम्बर, गुरुवार को उपवास करें*
🌷 *देवउठी एकादशी के दिन* 🌷
🙏🏻 *देवउठी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को इस मंत्र से उठाना चाहिए*
🌷 *उतिष्ठ-उतिष्ठ गोविन्द, उतिष्ठ गरुड़ध्वज l*
*उतिष्ठ कमलकांत, त्रैलोक्यं मंगलम कुरु l l*
🙏🏻 *पूज्य बापूजी Vadodara-9th Nov. 2011*
    🌷 *भीष्मपञ्चक व्रत* 🌷
*अग्निपुराण अध्याय – २०५*
🙏🏻 *अग्निदेव कहते है – अब मैं सब कुछ देनेवाले व्रतराज ‘भीष्मपञ्चक’ विषय में कहता हूँ | कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत ग्रहण करें | पाँच दिनों तक तीनों समय स्नान करके पाँच तिल और यवों के द्वारा देवता तथा पितरों का तर्पण करे | फिर मौन रहकर भगवान् श्रीहरि का पूजन करे | देवाधिदेव श्रीविष्णु को पंचगव्य और पंचामृत से स्नान करावे और उनके श्री अंगों में चंदन आदि सुंगधित द्रव्यों का आलेपन करके उनके सम्मुख घृतयुक्त गुग्गुल जलावे ||१-३||*
🙏🏻 *प्रात:काल और रात्रि के समय भगवान् श्रीविष्णु को दीपदान करे और उत्तम भोज्य-पदार्थ का नैवेद्ध समर्पित करे | व्रती पुरुष *‘ॐ नमो भगवते* *वासुदेवाय’ इस द्वादशाक्षर मन्त्र का एक सौ आठ बार (१०८) जप करे | तदनंतर घृतसिक्त तिल और जौ का अंत में ‘स्वाहा’ से संयुक्त *‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’* *– इस द्वादशाक्षर मन्त्र से हवन करे | पहले दिन भगवान् के चरणों का कमल के पुष्पों से, दुसरे दिन घुटनों और सक्थिभाग (दोनों ऊराओं) का बिल्वपत्रों से, तीसरे दिन नाभिका भृंगराज से, चौथे दिन बाणपुष्प, बिल्बपत्र और जपापुष्पों द्वारा एवं पाँचवे दिन मालती पुष्पों से सर्वांग का पूजन करे | व्रत करनेवाले को भूमि पर शयन करना चाहिये |*
🙏🏻 *एकादशी को गोमय, द्वादशी को गोमूत्र, त्रयोदशी को दधि, चतुर्दशी को दुग्ध और अंतिम दिन पंचगव्य आहार करे | पौर्णमासी को ‘नक्तव्रत’ करना चाहिये | इस प्रकार व्रत करनेवाला भोग और मोक्ष – दोनों का प्राप्त कर लेता है |*
🙏🏻 *भीष्म पितामह इसी व्रत का अनुष्ठान करके भगवान् श्रीहरि को प्राप्त हुए थे, इसीसे यह ‘भीष्मपञ्चक’ के नाम से प्रसिद्ध है |*
🙏🏻 *ब्रह्माजी ने भी इस व्रत का अनुष्ठान करके श्रीहरि का पूजन किया था | इसलिये यह व्रत पाँच उपवास आदि से युक्त हैं ||४-९||*
🙏🏻 *इस प्रकार आदि आग्नेय महापुराण में ‘भीष्मपञ्चक-व्रत का कथन’ नामक दो सौ पाँचवाँ अध्याय पूरा हुआ ||२०५||*
💥 *विशेष ~ 25 नवम्बर 2020 बुधवार से 29 नवम्बर, रविवार तक भीष्म पंचक व्रत है।

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