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25 मार्च 2024

Updated on 25-03-2024 07:29 PM
⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पूर्णिमा दोपहर 12:29 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - उत्तरा फाल्गुनी सुबह 10:38 तक तत्पश्चात हस्त*
*⛅योग - वृद्धि रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - सुबह 08:10 से 09:42 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:39*
*⛅सूर्यास्त - 06:53*
*⛅दिशा शूल - पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:04 से 05:52 तक*
*⛅अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:21 से 01:10 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:09 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - फाल्गुनी पूर्णिमा, वसंत पूर्णिमा, होली, धुलेंडी, धूलिवंदन, होलाष्टक समाप्त, जैन अट्ठाई समाप्त, श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती (ति.अ.), छाया चन्द्रग्रहण (भारत में नहीं दिखेगा, नियम पालनीय नहीं हैं ।)*
*⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹होली, धुलेंडी - 25 मार्च 2024🔹*

*🔹होली में साबधानी🔹*

*🔸प्राचीन काल में पलाश के फूलों से तैयार सात्त्विक रंग अथवा गुलाल, कुमकुम, हल्दी से होली खेली जाती थी । लेकिन आज के परिवर्तन-प्रधान युग में अनेक प्रकार के रासायनिक तत्वों से बने पक्के रंगों का तथा कई स्थानों पर तो वार्निश, ऑईल, पेंट व चमकीले पेंट्स का भी होली खेलने में उपयोग किया जाता है ।*

*🔸होली खेलते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतने से आप हानिकारक रसायनयुक्त रंगों के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं :-*

*🔸सावधानी रखिये कि कहीं होली का रंग आँख या मुँह में न चला जाय अन्यथा आँखों की ज्योति अथवा फेफड़ों व आँतों में हानि पहुँचा सकता है । अतः जब कोई रंग लगाये तब मुँह व आँखें बंद रखिये ।*

*🔸होली खेलने से पहले ही अपने शरीर पर नारियल, सरसों अथवा खाद्य तेल की अच्छी तरह से मालिश कर लीजिये ताकि त्वचा पर पक्के रंगों का प्रभाव न पड़े और साबुन लगानेमात्र से ही वे रंग निकल जायें । अपने बालों में भी तेल की अच्छी तरह से मालिश कर लीजिये ताकि रासायनिक रंगों का सिर पर कोई प्रभाव न पड़े ।*

*🔸इस प्रकार की मालिश के अभाव में रासायनिक रंग त्वचा पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं तथा त्वचा में कुछ दिनों तक जलन एवं शुष्कता बनी रहती है ।*

*🔸जो लोग होली खेलने में वार्निश,आईल पेंट या अन्य किसी प्रकार के चमकदार पेंट का उपयोग करते हैं, ऐसे लोगों से सावधान रहिये । भूलकर भी उस टोली में शामिल न होइये जिसमें इस प्रकार के घातक पदार्थों से होली खेली जाती हो । ये रंग चेहरे की त्वचा के लिए अत्याधिक हानिकारक साबित हुए हैं । कभी-कभी तो इनसे पूरा चेहरा ही काला या दागदार बन जाता है । यदि कोई आप पर ऐसा रंग जबरन लगा भी दे तो तुरंत ही घर पहुँचकर रुई के फाहे को मिट्टी के तेल में डुबोकर उससे धीरे-धीरे रंग साफ कर लीजिये । फिर साबुन से चेहरा धो डालिये ।*

*🔸त्वचा पर लगे पक्के रंग को बेसन, आटा, दूध, हल्दी व तेल के मिश्रण से बना उबटन बार-बार लगाकर एवं उतारकर साफ किया जा सकता है । यदि उबटन के पूर्व उस स्थान को नींबू से रगड़कर साफ कर लिया जाए तो और भी लाभ होगा । नाखूनों के आस-पास की त्वचा में जमे रंग को नींबू द्वारा घिसकर साफ किया जा सकती है ।*

*🔸होली घर के बजाय बरामदे में या सड़क पर ही खेलें ताकि घर के भीतर रखी वस्तुओं पर उनका दुष्प्रभाव न पड़े और होली खेलते समय फटे या घिसे हए पतले वस्त्र न पहने ताकि किसी भी प्रकार की लज्जाजनक स्थिति का सामना न करना पड़े ।*

*🔸होली के अवसर पर देहातों में भाँग व शहरों में शराब पीने का अत्याधिक प्रचलन है। पर नशे के मद में चूर होकर व्यक्ति विवेकहीन पशुओं जैसे कृत्य करने लगता है । क्योंकि नशा मस्तिष्क से विवेक नियंत्रण हटा देता है, बुद्धि में उचित निर्णय लेने की क्षमता का ह्रास कर देता है और मनुष्य मन, वचन व कर्म से अनेक प्रकार के असामाजिक कार्य कर बैठता है। अतः इस पर्व पर किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन न करें ।*

*🔸शिष्टता व संयम का पालन करें । भाई सिर्फ भाइयों की व बहनें सिर्फ बहनों की ही टोली में होली खेलें। बहनें घर के परिसर में ही होली खेल लें तो और भी अच्छा है ताकि दुष्ट प्रवृति के लोगों की कुदृष्टि उन पर न पड़े ।*

*🔸जो लोग कीचड़-गंदगी व पशुओं के मल-मूत्र जैस दूषित पदार्थों से होली खेलते हैं, वे खुद तो अपवित्र होते ही हैं औरों को भी अपवित्र करने का पाप अपने सिर पर चढ़ाते हैं । अत: होली खेलते समय इनका प्रयोग न करें ।*

*🔸होली खेलते समय शरीर पर गहने आदि कीमती आभूषण धारण न करें, अन्यथा भीड़ में उनके चोरी या गुम हो जाने की संभावना बनी रहती है ।*


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