इटली के तट के पास सोमवार को 2 नाव डूबने से 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 64 अब भी लापता हैं। जर्मनी के चैरिटी ऑर्गनाइजेशन RESQSHIP ने बताया कि लैंपेडुसा द्वीप के पास से उन्होंने 51 लोगों को रेस्क्यू किया। इस दौरान लकड़ी की एक नाव के निचले डेक से उन्हें 10 शव बरामद हुए।
रेस्क्यू किए गए लोगों को इटली के कोस्ट गार्ड को सौंप दिया गया था। BBC के मुताबिक, बोट लीबिया से चली थी। इसमें सीरिया, मिस्र, बांग्लादेश और पाकिस्तान के शरणार्थी मौजूद थे। इसके बाद सोमवार को ही RESQSHIP को इटली के दक्षिणी छोर कैलेब्रिया के तट से 201 किमी की दूरी पर एक और नाव डूबते दिखी।
तुर्किये से 8 दिन पहले रवाना हुए इस नाव पर आग लग गई थी, जिसके बाद यह पलट गई। अलजजीरा के मुताबिक, नाव पर सवार 11 लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया, जबकि 64 लोग लापता हैं। इनमें 26 बच्चे हैं। नाव पर सवार 1 महिला की मौत हो गई। इटली के कोस्ट गार्ड ने बताया कि वे EU की बॉर्डर एजेंसी फ्रंटेक्स की मदद से लापता लोगों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।
अफगानिस्तान के एक परिवार की मौत
UN ने बताया कि दूसरे नाव में जो शरणार्थी सवार थे वे ईरान, सीरिया और इराक के थे। मरने वालों में अफगानिस्तान का एक परिवार शामिल है। कोस्ट गार्ड ने कहा कि नावों में लाइफ वेस्ट नहीं थी। डूबते वक्त आसपास से गुजरे कुछ वेसल्स ने उनकी मदद भी नहीं की।
UN की मार्च की रिपोर्ट के मुताबिक, भूमध्य सागर सबसे खतरनाक माइग्रेशन रूट है। नाव से इटली में हर साल एक लाख से ज्यादा शरणार्थी आते हैं। पिछले 10 सालों में इस रास्ते से गुजरने वाले 27 हजार से ज्यादा शरणार्थियों की मौत हो चुकी है।
इन्हें बचाने के लिए इटली की सरकार ने 'मारे नोस्त्रम'नाम का एक ऑपरेशन भी चलाया था। इसका मकसद भूमध्य सागर में फंसे लोगों को रेस्क्यू करना था। इसके जरिए इटली की सरकार ने अब तक हजारों लोगों की जान बचाई है।
1 हफ्ते में शरणार्थियों की नाव डूबने का तीसरा बड़ा हादसा
इससे पहले 12 जून को कांगो में एक नदी में यात्रियों से भरी नाव के डूबने से 80 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। नाव पर 100 से ज्यादा लोग सवार थे। वहीं यमन में 11 जून को अदन तट के पास शरणार्थियों से भरी एक नाव पलट गई थी, जिसमें सवार 49 लोगों की मौत हो गई और 140 से ज्यादा लोग लापता हो गए थे।
न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, नाव में 260 लोग सवार थे, इनमें से सबसे ज्यादा लोग इथियोपिया और सोमालिया के थे। UN के अधिकारियों ने बताया कि अप्रैल में दो हफ्तों के अंदर हुई इस तरह की अलग-अलग घटनाओं में 62 से ज्यादा लोग मारे गए थे।