*⛅तिथि - त्रयोदशी सुबह 08:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - कृत्तिका दोपहर 03:07 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - धृति रात्रि 01:23 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - सुबह 10:59 से दोपहर 12:40 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:54*
*⛅सूर्यास्त - 07:27*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:01 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34/38)*
*🔸रोजी रोटी की चिंता सताती हो तो..🔸*
*🔹नित्य नियम से त्रिकाल संध्या करनेवाले के जीवन में किसी के सामने हाथ फैलाने का दिन नहीं आता । त्रिकाल संध्या हमारे आध्यात्मिक स्पन्दनों को विकसित करती है जिससे जीवन में निर्णय लेने की सूझ-भुज बढ़ती है अतः रोजी रोटी की चिंता नहीं करनी पड़ती है । इसिलए प्रत्येक मनुष्य को त्रिकाल संध्या अवश्य करनी चाहिए ।*
*🌹 मासिक शिवरात्रि : 16 जून 2023*🌹
*🌹कर्ज मुक्ति हेतु -*
*🌹 हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी ।*
🌹1) *ॐ शिवाय नमः*
🌹2) *ॐ सर्वात्मने नमः*
🌹3) *ॐ त्रिनेत्राय नमः*
🌹4) *ॐ हराय नमः*
🌹5) *ॐ इन्द्रमुखाय नमः*
🌹6) *ॐ श्रीकंठाय नमः*
🌹7) *ॐ सद्योजाताय नमः*
🌹8) *ॐ वामदेवाय नमः*
🌹9) *ॐ अघोरहृदयाय नम:*
🌹10) *ॐ तत्पुरुषाय नमः*
🌹11) *ॐ ईशानाय नमः*
🌹12) *ॐ अनंतधर्माय नमः*
🌹13) *ॐ ज्ञानभूताय नमः*
🌹14) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः*
🌹15) *ॐ प्रधानाय नमः*
🌹16) *ॐ व्योमात्मने नमः*
🌹17) *ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:*
*🔹 त्रिदोषशामक आहार है स्वास्थ्य के लिए विशेष हितकारी*
*🔹 कफ, पित्त और वात – ये त्रिदोष समस्त शरीर को धारण करते हैं । शरीर की सभी क्रियाएँ वात के कारण, रूपांतरण पित्त के कारण व गठन कफ के कारण होता है । जब ये अपने स्वाभाविक रूप में ( अर्थात सम अवस्था में – न घटे हुए न बढ़े हुए ) होते हैं तब शरीर की वृद्धि, बल, वर्ण, प्रसन्नता उत्पन्न करते हैं परंतु जब इनमें से कोई विकृत (विषम) होता है तब शेष दोषों, रस – रक्तादि सप्तधातुओं को दूषित कर रोगों को उत्पन्न करता है । अत: जो खाद्य पदार्थ इन त्रिदोषों का शमन करते हैं उनका सेवन स्वास्थ्य के लिए विशेष हितकारी है ।*