कोरोना संक्रमण के चलते 108 कॉल सेंटर बंद होने का असर
भोपाल। राजधानी समेत प्रदेश भर में लोगों को 108 एंबुलेंस मिलने में दिक्कत हो रही है। भोपाल में गोविंदपुरा थाने के पास तिराहे पर गत 14 जून को दोपहर 1.40 बजे मोटरसाइकिल में सवार तीन लोग गिरने से घायल हो गए। इनमें एक गंभीर था। यहां पर इकठ्ठा हुई भीड़ ने एंबुलेंस के लिए 108 पर फोन लगाया। 108 नंबर लगातार व्यस्त आने की वजह से आधे घंटे बाद निजी वाहन से घायल को अस्पताल ले जाया गया। बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के चलते भोपाल के सी-21 माल स्थित 108 कॉल सेंटर बंद होने व यहां के 150 कर्मचारियों के क्वारंटाइन होने की वजह से यह दिक्कत हो रही है। इस कारण जरूरतमंदों को 108 एंबुलेंस और प्रसूताओं को घर से अस्पताल और अस्पताल से घर ले जाने के लिए जननी एक्सप्रेस वाहनों की मदद नहीं मिल पा रही है। करीब 10 दिन पहले 108 के कॉल सेंटर में काम करने वाले 35 कर्मचारियों को कोरोना होने के बाद कॉल सेंटर को बंद कर दिया गया। प्रदेश में इस सेवा का संचालन कर रही जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड (जेडएचएल) और नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सीएम हेल्पलाइन व कुछ अन्य दफ्तरों के कर्मचारियों को कॉल अटेंडेंट के तौर पर लगाया है। नए कर्मचारियों के प्रशिक्षित नहीं होने और संख्या कम होने की वजह से 15 हजार से ज्यादा जरूरी कॉल हर दिन बिना सुने ही कट जाती हैं। इतना ही नहीं कॉल उठाने से लेकर वाहन रवाना करने में पहले करीब 3 मिनट लगते थे अब साढ़े तीन से चार मिनट लग रहे हैं। कॉल सेंटर में पहले हर दिन करीब 40 हजार कॉल आती थीं। इनमें छह हजार कॉल बिना रिसीव हुए कट जाती थीं। करीब 12 हजार कॉल एंबुलेंस व जननी एक्सप्रेस की सेवा से संबंधित नहीं होती थीं। इस तरह 7 हजार लोगों को सेवा हर दिन मिलती थी। कॉल सेंटर बंद होने के बाद से यह आंकड़ा 6 हजार से 6200 के बीच आ गया है। यानी 800 से 1000 लोगों को एंबुलेंस व जननी एक्सप्रेस की सेवा नहीं मिल पा रही है। सूत्रों की माने तो एनएचएम की तरफ से कंपनी को हर माह अच्छी खासी रकम का भुगतान किया जाता है। 108 एंबुलेंस की संख्या 606, है और हर महीने 10 करोड़ का भुगतान किया जाता है। जननी एक्सप्रेस वाहनों की संख्या 790 है और इनको हर महीने 12 करोड़ रुपए भुगतान किया जाता है। आदिवासी ब्लाकों में चलने वाली मेडिकल मोबाइल यूनिट (एमएमयू)-65 है, इनको हर महीने 2 करोड़ का भुगतान किया जाता है। इस बारे में जेडएचएल, मध्य प्रदेश प्रोजेक्ट हेड जितेन्द्र शर्मा का कहना है कि सेंटर में 40 से 42 हजार कॉल हर दिन उठाए जा रहे हैं। 6200 से 6500 लोगों को एंबुलेंस व जननी एक्सप्रेस की सुविधा दी जा रही है। हर मिनट में 4-5 लोगों को सेवा दे रहे हैं।
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