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06 अप्रैल 2024

Updated on 06-04-2024 10:45 AM
⛅️दिन - शनिवार*
*⛅️विक्रम संवत् - 2080*
*⛅️अयन - उत्तरायण*
*⛅️ऋतु - वसंत*
*⛅️मास - चैत्र*
*⛅️पक्ष - कृष्ण*
*⛅️तिथि - द्वादशी प्रातः 10:19 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅️नक्षत्र - शतभिषा दोपहर 03:39 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅️योग - शुक्ल रात्रि 02:20 अप्रैल 07 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅️राहु काल - सुबह 9:34 से 11:18 तक*
*⛅️सूर्योदय - 06:28*
*⛅️सूर्यास्त - 06:54*
*⛅️दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:42 तक*
*⛅️ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:06 तक*
*⛅️ निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.17 अप्रैल 07 से रात्रि 01.04 अप्रैल 07 तक*
*⛅️व्रत पर्व विवरण- शनि प्रदोष व्रत*
*⛅️विशेष -   त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।*

🌹 *महावारुणी योग* 🌹
🙏🏻 *वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक पुण्यप्रद महायोग है।*
🙏🏻 *भविष्यपुराण के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यदि शनिवार अथवा शतभिषा नक्षत्र से युक्त हो तो वह महावारुणी पर्व कहलाता है। इसमें किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध अक्षय होता है।*
🌹 *चैत्रे मासि सिताष्टम्यां शनौ शतभिषा यदि । गंगाया यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।*
*सेयं महावारुणीति ख्याता कृष्णत्रयोदशी । अस्यां स्नानं च दानं च श्राद्धं वाक्षयमुच्यते ।।*
🌹 *नारदपुराण*
*वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी ।।*
*गंगायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।। ४०-२० ।।*
🌹 *स्कन्दपुराण*
*"वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी। गङ्गायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा॥*
*शनिवारसमायुक्ता सा महावारुणी स्मृता। गङ्गायां यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा॥"*
🌹 *देवीभागवत पुराण* 
*"वारुणं कालिकाख्यञ्च शाम्बं नन्दिकृतं शुभम्।*
*सौरं पाराशरप्रोक्तमादित्यं चातिविस्तरम्॥"*
🌹 *त्रिस्थलीसेतु*
*चैत्रासिते वारुणऋक्षयुक्ता त्रयोदशी सूर्यसुतस्य वारे।*
*योगे शुभे सा महती महत्या गंगाजलेर्कग्रहकोटितुल्या।।*
⛅️ *विशेष ~ 06 अप्रैल 2024 शनिवार को (सुबह 10:19 से त्रयोदशी तिथि शुरु हो रही है एवं दोपहर 03:38 तक शतभिष नक्षत्र है) महावारुणी योग है।*

🌹 *शनि प्रदोष* 🌹

⛅️ *शनिवार को प्रदोषकाल में त्रयोदशी तिथि हो तो उसे शनिप्रदोष कहा जाता है।* 
⛅️ *06 अप्रैल 2024 को शनि प्रदोष है।*
⛅️ *शनिप्रदोष व्रत की महिमा  के बारे में स्कन्दपुराण के ब्राह्मखंड - ब्रह्ममोत्तरखंड में हनुमान जी कहते हैं कि* 
🌹 *एष गोपसुतो दिष्ट्या प्रदोषे मंदवा सरे । अमंत्रेणापि संपूज्य शिवं शिवमवाप्तवान् ।।*
*मंदवारे प्रदोषोऽयं दुर्लभः सर्वदेहिनाम् । तत्रापि दुर्लभतरः कृष्णपक्षे समागते ।।*
🌹 *एक गोप बालक ने शनिवार को प्रदोष के दिन बिना मंत्र के भी शिव पूजन कर उन्हें पा लिया। शनिवार को प्रदोष व्रत सभी देहधारियों के लिए दुर्लभ है। कृष्णपक्ष आने पर तो यह और भी दुर्लभ है।*
⛅️ *संतान प्राप्ति के लिए शनिप्रदोष व्रत एक अचूक उपाय है।*
⛅️ *विभिन्न मतों से शनिप्रदोष को महाप्रदोष तथा दीपप्रदोष भी कहा जाता है। कुछ विद्वान केवल कृष्णपक्ष के शनिप्रदोष को ही महाप्रदोष मानते हैं।*
⛅️ *ऐसी मान्यता है की शनिप्रदोष का दिन शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अगर कोई व्यक्ति लगातार 4 शनिप्रदोष करता है तो उसके जन्म जन्मांतर के पाप धूल जाते हैं साथ ही वह पितृऋण से भी मुक्त हो जाता है।*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*


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