⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - ग्रीष्म*
*⛅मास - वैशाख*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - दशमी रात्रि 11:24 मई 03 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 12:06 मई 04 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅योग- ब्रह्मा दोपहर 02:19 तक तत्पश्चात इंद्र*
*⛅राहु काल - सुबह 10:59 से दोपहर 12:35 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:09*
*⛅सूर्यास्त - 07:02*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:40 से 05:35 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 04 से रात्रि 12:57 मई 04 तक*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यो ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः सुबह एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें जिससे नीचे बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*
*👉 प्रातः ३ से ५ -(इस समय जीवनीशक्ति फेफड़ों में सक्रिय होती है ।)*
*इस समयावधि में थोड़ा गुनगुना पानी पीकर 'खुली हवा' में घूमना एवं प्राणायाम करना चाहिए ।*
*👉 सुबह : ५ से ७ (बड़ी आँत में) - प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल त्याग व स्नान कर लें । ५ से ७ (सुबह ७ बजे के बाद जो मल त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ घेर लेती हैं ।)*
*👉 सुबह ७ से ९ : (आमाशय या जठर में)- दूध या फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं । (भोजन के २ घंटे पूर्व)*
*👉 सुबह ९ से ११ : (अग्न्याशय व प्लीहा में) - यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है ।*
*👉 दोपहर ११ से १ : (हृदय में)- दोपहर १२ बजे के आसपास (मध्यह्न- संध्या) ध्यान, जप करें । भोजन वर्जित है ।*
*👉 दोपहर १ से ३ : (छोटी आँत में)- भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए ।*
*👉 दोपहर ३ से ५ : (मूत्राशय में)- २-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*
*👉 शाम ५ से ७ : गुर्दों में (Kidneys)- इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें अपितु संध्या करें ।*
*👉 रात्रि ७ से ९ : (मस्तिष्क में)- इस समय मस्तिष्क विशेषरूप से सक्रिय रहता है । अतः पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*
*👉 रात्रि ९ से ११ : (मेरूरज्जु में)- इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांतिप्रदान करती है ।*
*👉 रात्रि ११ से १ : (पित्ताशय में)- इस काल में जागरण पित्त बढ़ाता है ।*
*👉 रात्रि १ से ३ : (यकृत में)- इस काल में जागरण से पाचनतंत्र बिगड़ता है ।*
*🥥🫒नारियल पानी के लाभकारी प्रयोग🫒🥥*
*🔹 मूत्र त्यागते समय जलन होने पर नारियल के पानी में गुड़ और हरा धनिया मिलाकर रोगी को पिलाने से राहत मिलती है ।*
*🔹 नारियल पानी यकृत की अनेक बीमारियों में लाभदायक है । उल्टी, हैजा, पेचिश, एसिडिटी, अल्सर, आदि में यह हितकर है I थकान तथा नाड़ी की तमाम गड़बड़ियाँ नारियल पानी से दूर हो जाती हैं ।*
*🔹 जिनकी दिल की धड़कन बढ़ जाती हो उन्हें हरे नारियल का पानी पीना चाहिए । शिशु के शरीर में जलीय अंश की कमी हो जाने पर उसे दूर करने के लिए यह एक आदर्श पेय है । महिलाओं के रक्तप्रदर में भी यह लाभदायक है ।*
*🔹 कच्चे नारियल का पानी चेहरे पर मलने से चेहरे के दाग-धब्बे व मुंहासों के निशान मिट जाते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है I*