*⛅तिथि - पूर्णिमा शाम 05:08 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - मूल सुबह 11:12 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग - ब्रह्म दोपहर 03:45 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*⛅राहु काल - सुबह 07:40 से 09:21 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:58*
*⛅सूर्यास्त - 07:29*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:05 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - आषाढ़ी पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा, गुरुपूर्णिमा, 'ऋषि प्रसाद' जयंती, संन्यासी चतुर्मासारम्भ*
*⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🌹 गुरुपूर्णिमा : 03 जुलाई 2023 🌹*
*🌹 गुरु का मानस-पूजन कैसे करें गुरु पोर्णिमा को ?*
*🌹 गुरुपूनम को सुबह उठें, नहा-धोकर थोडा-बहुत धूप, प्राणायाम आदि करके श्रीगुरुगीता का पाठ कर लें ।*
*🌹 फिर इस प्रकार मानसिक पूजन करें : ‘मेरे गुरुदेव ! मन-ही-मन, मानसिक रूप से मैं आपको सप्ततीर्थों के जल से स्नान करा रहा हूँ । मेरे नाथ ! स्वच्छ वस्त्रों से आपका चिन्मय वपु (चिन्मय शरीर) पोंछ रहा हूँ । शुद्ध वस्त्र पहनाकर मैं आपको मन से ही तिलक करता हूँ, स्वीकार कीजिये । मोगरा और गुलाब के पुष्पों की दो मालाएँ आपके वक्षस्थल में सुशोभित करता हूँ ।*
*🌹आपने तो हृदयकमल विकसित करके उसकी सुवास हमारे हृदय तक पहुँचायी है लेकिन हम यह पुष्पों की सुवास आपके पावन तन तक पहुँचाते हैं, वह भी मन से, इसे स्वीकार कीजिये । साष्टांग दंडवत् प्रणाम करके हमारा अहं आपके श्रीचरणों में धरते हैं ।*
*🌹 हे मेरे गुरुदेव ! आज से मेरी देह, मेरा मन, मेरा जीवन मैं आपके दैवी कार्य के निमित्त पूरा नहीं तो हररोज २ घंटा, ५ घंटा अर्पण करता हूँ, आप स्वीकार करना । भक्ति, निष्ठा और अपनी अनुभूति का दान देनेवाले देव ! बिना माँगे कोहिनूर का भी कोहिनूर आत्मप्रकाश देनेवाले हे मेरे परम हितैषी ! आपकी जय-जयकार हो ।’*
*🌹 इस प्रकार पूजन तब तक बार-बार करते रहें जब तक आपका पूजन गुरु तक, परमात्मा तक नहीं पहुँचे । और पूजन पहुँचने का एहसास होगा, अष्टसात्त्विक भावों (स्तम्भ, स्वेद, रोमांच, स्वरभंग, कम्प, वैवण्र्य, अश्रु, प्रलय ) में से कोई-न-कोई भाव भगवत्कृपा, गुरुकृपा से आपके हृदय में प्रकट होगा ।*
*🌹 इस प्रकार गुरुपूर्णिमा का फायदा लेने की मैं आपको सलाह देता हूँ । इसका आपको विशेष लाभ होगा, अनंत गुना लाभ होगा ।*
*🌹 विद्यालाभ योग - 04 जुलाई 2023 🌹*
*🔸विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति हेतु🔸*
*🌹 विद्यालाभ के लिए मंत्र : 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।'*
*🔸महाराष्ट्र, गुजरात आदि जहाँ अमावस्या को माह का अंत माना जाता है वहाँ ४ जुलाई को सुबह ८:२५ से रात्रि ११:४५ बजे तक १०८ बार मंत्र जप लें और रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*
*🔹जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी ।*
*🔸कालसर्पयोग से मुक्ति🔸*
*🔹कालसर्पयोग बड़ा दुःख देता है लेकिन गुरु का मानसिक पूजन व प्रदक्षिणा, गुरुध्यान, गुरुमंत्र के जप और गुरु के आदर से कालसर्पयोग का प्रभाव खत्म हो जाता है ।*
*🔹 किसी पर कालसर्पयोग होता है तो बेचारा मुसीबतों में आ जाता है लेकिन जो मेरे शिष्य हैं उन्हें कालसर्पयोग की विदाई करने के लिए कोई पूजा-पाठ या लम्बा-चौड़ा विधि-विधान नहीं कराना है, केवल ‘कालसर्पयोग निवृति अर्थे जपे विनियोग: ।’ ऐसा विनियोग करके अपने गुरुमंत्र की माला जपो और गुरूजी को देखो । ७ दिन रोज ११-११ माला जप करो । कालसर्पयोग कट जाता है ।*