*⛅तिथि - त्रयोदशी दोपहर 12:48 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - स्वाती सुबह 06:53 तक तत्पश्चात विशाखा*
*⛅योग - परिघ शाम 05:10 तक तत्पश्चात शिव*
*⛅राहु काल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:38 तक*
*⛅सूर्योदय - 05:54*
*⛅सूर्यास्त - 07:22*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से 05:12 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 12:59 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔸जून मास - पुण्यदायी तिथियाँ एवं योग🔸*
*03 जून - वट पूर्णिमा, वटसावित्री व्रत (पूर्णिमांत)*
*04 जून - ज्येष्ठ पूर्णिमा, देवस्नान पूर्णिमा, संत कबीरजी जयंती*
*05 जून - गुरु हरगोविंद सिंहजी जयंती( ति.अ ), विश्व पर्यावरण दिवस*
*06 जून - विद्यालभ योग (पूर्णिमांत) - रात्रि ११:१३ से रात्रि ११:४५ तक १०८ बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद रात्रि ११:३० से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*
*07 जून - विद्यालभ योग (पूर्णिमांत)*
*प्रातः ३ से रात्रि ९:०२ बजे तक १०८ बार मंत्र जप लें और रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*
*🌹 विद्यालाभ के लिए मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।'*
*14 जून - योगिनी एकादशी*
*15 जून - षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल : शाम ६:२९ से सूर्यास्त तक) (इस दिन किये गये ध्यान, जप आदि पुण्यकर्मों का ८६ हजार गुना फल होता है । - पद्म पुराण)*
*16 जून - मासिक शिवरात्रि*
*18 जून - आषाढ़ अमावस्या*
*20 जून - भगवान जगन्नाथ रथयात्रा*
*21 जून - वर्षा ऋतु (21 जून से 23 अगस्त ) प्रारम्भ*
*23 जून - श्री बल्लभाचार्य वैकुण्ठ-गमन, संत टेऊँरामजी जयंती*
*25 जून : रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से रात्रि १२-२५ तक), विजया सप्तमी*
*29 जून - देवशयनी एकादशी, चातुर्मास (29 जून से 23 नवम्बर) प्रारम्भ*
*🔹वास्तु शास्त्र🔹*
*🔸घर की रसोई हमेशा अग्नि कोण में हो, गैस चूल्हा भी अग्नि कोण (साऊथ ईस्ट) में, खाना पूर्व की ओर मुंह करके बनाएं, शैंक (बर्तन धोने वाला) हमेशा नार्थ ईस्ट (ईशान कोण) में रखें । शयन कक्ष या रसोई में रात को जूठे बर्तन मत छोड़ें । हमेशा धो-मांज कर रखें ।*
*🔹मृतक की सद्गति के लिए🔹*
*🔸जिस किसी के घर में किसी की मृत्यु हो, तो वो चाहे विदेश में रहते हो तो उसकी हड्डियां हरिद्वार भेज न पाएँ लेकिन, आंवले के रस में उसकी हड्डियां धो लें, और वहीं किसी नदी में डाल दे तो दुबारा उस मृतक आत्मा का जन्म नहीं होगा, उसकी सद्गति होगी, ऐसा पुराणों में लिखा है ।*